म्यूचुअल फंड और हमारे माता-पिता का रिश्ता बॉलीवुड की किसी भी आम फिल्म के हीरो और विलेन जैसा ही होता है. 90 के दशक में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के उभरने की वजह से आप अपने माता-पिता को म्यूचुअल फंड के कॉन्सेप्ट को न समझने और इससे न जुड़ने का दोष नहीं दे सकते. हमारे पेरेंट के लिए, “सेविंग” का मतलब है फिक्स्ड डिपॉजिट, प्रोविडेंट फंड, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, पेंशन स्कीम या नेशनल सेविंग स्कीम.
क्या इन इंस्ट्रूमेंट में कोई अंतर है? हां. रिटर्न, टैक्स सेविंग, लॉक-इन, लेकिन एक चीज जो सभी के बीच कॉमन है वो है “गारंटीड रिटर्न”. पुरानी पीढ़ी हमेशा अपनी ‘मेहनत की कमाई को ऐसी जगह निवेश करने से डरती है, जहां रिस्क हो और इसलिए वो हमेशा कम रिटर्न पर समझौता कर लेते हैं, लेकिन कभी भी ऐसे निवेश का विकल्प नहीं चुनते जिसमें थोड़ा रिस्क हो. ऐसे में उन्हें म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कैसे तैयार किया जाए?
1. टैक्स बचत से शुरू करें, क्योंकि जब हम नंबरों की बात करते हैं, तो हम उनका ध्यान खींच सकते हैं. किसी को भी किसी भी इनकम पर टैक्स डिडक्शन पसंद नहीं है, चाहे वो किसी भी जनरेशन का क्यों न हो. यदि हम पसंदीदा फिक्स्ड डिपॉजिट का उदाहरण लेते हैं, तो उस पर जनरेट इनकम पर स्लैब रेट के आधार पर टैक्स लगाया जाता है. इसलिए, यदि कोई व्यक्ति 30% टैक्स ब्रैकेट में है, तो FD पर 30% के रेट से टैक्स लगेगा. इसके अलावा, यह न केवल टैक्सेबल इनकम है, बल्कि उस पर मिले इंटरेस्ट के साथ Investment की गई पूरी राशि टैक्सेबल होती है. इसके उलट, यदि कोई व्यक्ति म्यूचुअल फंड स्कीम का विकल्प चुनता है, तो इन्वेस्टमेंट को कैपिटल गेन कहा जाता है, जिस पर टैक्स रेट मामूली 20% है.
अगर 50 लाख रुपये 10 साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश किए जाते हैं, तो इससे आपको लगभग 35 लाख रुपये मिलेंगे, जिस पर 10.5 लाख रुपये के बराबर 30% के रेट से टैक्स लगेगा. डेट म्यूचुअल फंड में Investment किए गए 50 लाख रुपये से 8% सालाना रिटर्न मिल सकता है जो लगभग 1.07 करोड़ रुपये के बराबर होता है. हालांकि, इंडेक्सेशन बेनिफिट के कारण वास्तविक लाभ बढ़कर 10.31 लाख रुपये हो जाता है, जिससे कुल टैक्स अमाउंट 2.06 लाख रुपये हो जाता है. सुनने में अच्छा लगता है न? तो चलिए आगे बढ़ते हैं.
2. चलिए म्यूचुअल फंड और स्टॉक मार्केट से जुड़े मिथ को तोड़ें, क्योंकि म्यूचुअल फंड सिर्फ इक्विटी में निवेश से कहीं ज्यादा है. म्यूचुअल फंड ने न केवल इक्विटी बल्कि डेट, बांड, गवरर्मेंट सिक्योरिटी, कमोडिटी, गोल्ड और अन्य बुलियन आदि से निवेश के ऑप्शन देकर हर संभव निवेशक को लुभाने की कोशिश की है, इसमें सभी के लिए कोई न कोई विकल्प है, चाहे फिर वो रिस्क से बचने वाला व्यक्ति हो या मॉडरेट रिस्क लेने वाला. अब यह देखते हुए कि हमारे माता-पिता हमेशा रिस्क से बचने वाले टाइप में आते हैं, तो उनके लिए डेट फंड, गिल्ट फंड, लिक्विड फंड, हाइब्रिड फंड आदि के विकल्प मौजूद हैं.
3. तो फिर म्यूचुअल फंड क्यों? इसका जवाब है ऑप्टिमम रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो. फिक्स्ड डिपॉजिट या प्रोविडेंट फंड आपकी कमाई को 5-6% रिटर्न तक सीमित कर देगा, हालांकि म्यूचुअल फंड आपको फिक्स्ड डिपॉजिट या पीएफ की तुलना में थोड़े रिस्क के साथ 8% से अधिक हासिल करने में मदद कर सकता है. फिक्स्ड डिपॉजिट में रिटर्न की गारंटी दी जाती है. हालांकि, महंगाई की दर 7% के आसपास होने के साथ, उस लेवल से नीचे कोई भी रिटर्न आपकी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी नहीं होगा. सरल शब्दों में, महंगाई दर से कम रिटर्न आपकी परचेजिंग पॉवर को नष्ट कर देगा और इस तरह आपकी सेविंग आपके भविष्य के गोल को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी.
4. अंत में, आप किसी भी अमाउंट से शुरुआत कर सकते हैं. आप 500 रुपये से भी शुरू कर सकते हैं और इसमें एंट्री लेना और एग्जिट करना उतना ही सरल है जितना आपके दूधवाले को बंद करना या फिर से शुरू करना. म्यूचुअल फंड शब्द भले ही सुनने में मुश्किल लग सकता है, पर यह शायद सबसे सिंपल इन्वेस्टमेंट कैटेगरीज में से एक है. अगर आप X बैंक में FD बनाना चाहते हैं, तो आपको KYC प्रक्रिया पूरी करनी होगी और अमाउंट डिपॉजिट करना होगा. हालांकि, बाद में यदि Y बैंक का इंटरेस्ट रेट आपको लुभाता है, तो आप स्विच नहीं कर सकते हैं और फिर से बहुत सारी कागजी कार्रवाई करनी पड़ सकती है.
म्यूचुअल फंड में एक बार आपका CAN (कॉमन अकाउंट नंबर) बन जाने के बाद, आप OTP ऑथेंटिकेशन की सुरक्षा के साथ, दुनिया में कहीं भी बैठे अपने पूरी लाइफ के दौरान फिर से स्विच, एंटर, एग्जिट, स्टॉप, रिज्यूम, स्टॉप और री-एंटर कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए अपने माता-पिता को मनाना कई लोगों को जरूरी नहीं लग सकता है, लेकिन दो बातों को नहीं भूलना चाहिए.
1. आपके माता-पिता जो निवेश करते हैं, वो उन्हें पूरी तरह से इंडीपेंडेंट रहने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता. नतीजतन, किसी स्टेज पर वो आप पर निर्भर हो सकते हैं, जो आपके सेविंग स्ट्रक्चर पर असर डालेगा. हम अपने माता-पिता को कभी भी अपने ऊपर बोझ नहीं समझ सकते, लेकिन उन्हें समझाना भी हमारा कर्तव्य है. अगर आपके माता-पिता को महंगाई और म्यूचुअल फंड के बारे में समझ नहीं है, तो उन्हें समझाना उन्हीं के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छा कदम होगा.
2. दूसरी बात, अगर आपके माता-पिता म्यूचुअल फंड के आइडिया से कन्विंस होकर उसमें निवेश करते हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि उनकी मृत्यु के बाद आपको शेष राशि विरासत में मिल जाएगी. ये एक दूर की बात है, लेकिन रियलिस्टिक भी, क्योंकि कौन नहीं चाहता अपने रिटायरमेंट के लिए एक्स्ट्रा मनी.
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