Rule-Based Active Investment: नियम-आधारित एक्टिव निवेश (rule-based active investment) फिलॉसफी की नींव पर काम करने वाला एक म्यूचुअल फंड अगले महीने लॉन्च होने जा रहा हैं. भारत के सबसे बड़े म्यूचुअल फंड डिस्ट्राब्यूटर द्वारा अपना पहला फंड लॉन्च होगा, जो एक बैलेंस्ड एडवांटेज फंड यानी एक ओपन-एंडेड डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड है. यह फंड एक नियम-आधारित फंड होने की वजह से नियमित अंतराल पर पूर्व निर्धारित फॉर्मूले के मुताबिक एक पोर्टफोलियो को स्वचालित रूप से पुनर्संतुलित करता है. लेकिन, मार्केट के ट्रेंड को पकडने में यह फंड देरी कर सकता है. यदि आप इस फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहिए. आइए जानते हैं कि रूल-आधारित एक्टिव इन्वेस्टमेंट में किस तरह से काम होता है.
रूल-बेज्ड इंवेस्टमेंट को म्यूचुअल फंड मार्केट में फैक्टर-बेस्ड इन्वेस्टिंग या क्वांट इन्वेस्टिंग या स्मार्ट-बीटा या स्मार्ट अल्फा के नाम से भी जाना जाता हैं. ये सारे प्रकार के फंड पैसिव और रूल-बेस्ड होते हैं.
रूल-बेस्ड फंड 4 फैक्टर्स के आधार पर नियमों का पालन करते हैं जिसमें वोलेटिलिटी (beta, sharpe ratio, treynor’s ratio), वैल्यू (PE, PS, PB, EV-EBITDA), क्वॉलिटी (gearing ratio, Debt-to-FAC, ROCE, ROE) और मोमेंटम (Moving Average, Rate of change of stock price) शामिल हैं.
एक्टिव स्ट्रैटेजी में फंड मैनेजर अनुमान के आधार पर स्टैटेजी बनाता है, लेकिन मार्केट में अनुमान लगाना बहुत कठिन है और शॉर्ट-टर्म के लिए ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है. इसके विपरीत, रूल-बेस्ड इन्वेस्टिंग में आपको पहले से तय किए गए नियमों का पालन करना होता है, जिस वजह से सरलता और अनुशासन का फायदा मिलता है.
रूल-बेस्ड इन्वेस्टिंग में बैक-टेस्टिंग संभव है, यानी फंड मैनेजर तय किए गए नियमों का परीक्षण करके उसमें कुछ बदलाव कर सकता है. यदि फंड मैनेजर को लगता है कि कुछ नियम में बदलाव करने से ज्यादा रिटर्न हासिल हो सकता है तो वह उस तरह से बदलाव लाने के लिए स्वतंत्र है.
किसी भी निवेशक के लिए बायस से बचना नामुमकिन है, लेकिन यह काम रूल-आधारित रणनीति से संभव है. आपको कोई एक शेयर अच्छा लग सकता है, लेकिन रूल-बेस्ड स्ट्रैटेजी के तहत वह फिट नहीं होगा तो उसमें निवेश नहीं किया जाएगा, यानी आप बायस से बच सकते हैं. ह्यूमन साइकोलॉजी में बायस आएगा ही, लेकिन निवेश का काम नियमों पर छोड़ दिया जाए तो इससे बचा जा सकता है.
एक्टिव फंड में, फंड मैनेजर द्वारा खरीद और बिक्री का फैसला लिया जाता है, इसके विपरीत, रूल-बेज्ड फंड में, नियमों के आधार पर इक्विटी और डेट में खरीदने और बेचने की पहचान की जाती है.
रूल-बेज्ड फंड का प्रबंधन सॉफ्टवेयर मॉडल द्वारा मात्रात्मक विश्लेषण के आधार पर किया जाता है. खरीदने और बेचने के फैसले पहले से तय नियमों और सॉफ्टवेयर द्वारा पूर्व-निर्धारित अंतराल पर उत्पन्न होते हैं. ये फंड इंडेक्स फंड (पैसिव) की तुलना में अधिक सक्रिय हैं, लेकिन एक्टिव फंड से कम सक्रिय हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।