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डेट ETF में होगी कितनी कमाई, कितना है जोखिम? जानें कैसे आपके काम आएंगे ये विकल्प

Debt ETF के जरिए निवेशकों को मौका मिलता है कि वे फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों में निवेश कर सकें और साथ ही उन्हें ETF के फायदे भी मिल सकें.

  • Khushboo Tiwari
  • Last Updated : July 5, 2021, 16:06 IST
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.
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Debt ETF: मई में कुल 4 ETF लॉन्च हुए थे जिनमें 444 करोड़ रुपये का निवेश आया. इनमें हेल्थकेयर के दो ETF थे और एक अमेरिकी बाजार में निवेश वाला ETF था. चौथा फंड था एक्सिस का ट्रिपल ए बॉन्ड प्लस एसडीएल ETF – 2026 मैच्योरिटी. नाम भारी भरकम है, और निवेशकों को समझना मुश्किल हो सकता है. ये है एक डेट कैटेगरी का ETF. ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और डेट यानी वो कैटेगरी जिनमें शेयरों में निवेश ना कर बॉन्ड, कमर्शियल पेपर्स आदि में निवेश होता है. डेट का मतलब है कंपनियों को उधारी देकर उसपर मिलने वाले ब्याज से कमाई.

क्या है ये डेट ETF?

डेट एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स (Debt ETF) के जरिए निवेशकों को मौका मिलता है कि वे फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों में निवेश कर सकें और साथ ही उन्हें ETF के फायदे भी मिल सकें. निवेशक इससे म्यूचुअल फंड के जरिए डेट के सुरक्षित निवेश के साथ ही स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदने-बेचने की सुविधा का भी फायदा उठा सकें.

ये ETF किसी भी अन्य शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं. शेयर बाजार के कारोबारी समय के दौरान इनमें खरीदारी या इन्हें बेचने की सुविधा होती है, वो भी लाइव भाव पर यानी लगातार बदलते भाव पर.

जैसे इक्विटी कैटेगरी के ETF किसी एक इंडेक्स को आधार मानकर उसके तहत आने वाले शेयरों में निवेश करते हैं वैसे ही डेट ETF भी किसी एक इंडेक्स को आधार मानकर उसके अंतर्गत आने वाले सिक्योरिटीज में पैसा लगाते हैं. इससे निवेशकों को जानकारी रहती है कि उनका फंड किन सिक्योरिटीज में पैसा लगा रहा है.

साथ ही, ETF पैसिव कैटेगरी के फंड हैं – यही वजह है कि इनके रिटर्न इंडेक्स जैसे रहते हैं और खर्च यानी एक्सपेंस रेश्यो भी अन्य म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम रहता है.

मसलन, हाल ही में लॉन्च हुए Axis AAA Bond Plus SDL ETF – 2026 Maturity का एक्सपेंस रेश्यो सिर्फ 0.15 फीसदी है जबकि अन्य डेट फंड में आपको 1-1.5 फीसदी का एक्सपेंस रेश्यो लगता है.

वहीं, LIC म्यूचुअल फंड गवर्नमेंट सिक्योरिटीज लॉन्ग टर्म एक्सचेंज ट्रेडेड फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.27 फीसदी है. दिसंबर 2014 से शुरू हुए इस ETF ने पिछले 5 साल में 7.7 फीसदी का रिटर्न दिया है और पिछले 3 साल में रिटर्न 9.86 फीसदी के रहे हैं. हालांकि, पिछले एक साल में रिटर्न 3.16 फीसदी रहे. फंड के तहत 713 करोड़ रुपये का ऐसेट मैनेज किया जा रहा है.

कहां होता है निवेश?

सरकारी सिक्योरिटीज, सरकारी कंपनियों के बॉन्ड्स, गिल्ट्स, NCDs, बॉन्ड, कमर्शियल पेपर, डिबेंचर्स आदि में निवेश किया जाता है.

इन सभी की रेटिंग, फंड में वेटेज जैसी जानकारी आपको इंडेक्स के जरिए पता चल जाता है. म्यूचुअल फंड होने के कारण इनमें निवेशक को डेट सिक्योरिटीज का एक बास्केट कम रकम में भी खरीदने का मौका मिलता है.

डेट ETF जिस इंडेक्स को आधार मानता है उनका मैनेजमेंट कोई रेटिंग एजेंसी या स्टॉक एक्सचेंज करता है.

एक्सपर्ट्स की सलाह रहती है कि कोई भी ETF चुनने से पहले उसमें ट्रैकिंग एरर जरूर देख लें – यानी तय इंडेक्स के मुकाबले इस फंड का प्रदर्शन कैसा है.

(Disclaimer: Money9.com खरीदारी या बिकवाली पर कोई सलाह नहीं देता. कोई भी निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर के सलाह लें)

Published - July 5, 2021, 04:06 IST

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