financial plan: पिछले 18 महीनों ने हमें दिखाया कि जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया. इसने जिंदगी में अप्रत्याशित रूप से होने वाली उथल-पुथल से निपटने के लिए वित्तीय योजनाएं बनाने और पर्सनल फाइनेंस को मैनेज करने की जरूरत पर जोर दिया.
फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला स्टेप अपनी नेट वर्थ का निर्धारण करना है, जो आपकी वर्तमान संपत्ति में से सभी देनदारियों को घटाकर पता लगेगा. अपनी नेट वर्थ का निर्धारण करने से आपको अपनी फाइनेंशियल हेल्थ का पता लगेगा. इससे आप अपने फाइनेंशियल गोल को ट्रैक कर सते हैं और पता लगा सकते हैं कि आप अपने लक्ष्य से कितने पीछे हैं.
आपकी हाउसहोल्ड इनकम घर में कमाने वाले सभी सदस्यों के वेतन के टोटल के अलावा अन्य स्रोतों यानी फैमिली बिजनेस, प्रॉपर्टी से आने वाला रेंट और पार्ट टाइम वर्क से आने वाली रकम का टोटल है. अपने परिवार के खर्च करने के तरीके को समझने के लिए कुछ महीने तक घरेलू खर्चों को ट्रैक करें. उन्हें जरूरी और गैर-जरूरी खर्चों में बांटें. किसी भी तरह की क्राइसेस या फाइनेंशियल दिक्कत के वक्त आप गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करके बचत कर सकते हैं.
एक परिवार में सभी सदस्यों के टारगेट अलग-अलग होते हैं. लॉन्ग टर्म गोल्स में बच्चों की हायर एजुकेशन (संभवत: विदेश में पढ़ाई), घर खरीदना, बच्चों की शादी, रिटायरमेंट आदि को रख सकते हैं। शॉर्ट टर्म गोल्स में विदेश में छुट्टी मनाने के लिए बचत, नई कार खरीदना और बच्चों को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में इनरोल कराना शामिल हो सकता है.
इन गोल्स और उनके लिए समय-सीमा तय करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यही योजनाएं आपके फाइनेंशियल प्लान का आधार बनती हैं. इन गोल्स को हासिल करने के लिए अर्निंग, सेविंग और इनवेस्टमेंट को एक साथ लेकर चलने की जरूरत होती है. समय-समय पर आप अपने गोल्स के साथ-साथ अपने फाइनेंशियल प्लान पर भी गौर करें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे वास्तविक जीवन के साथ तालमेल बैठा रहे हैं.
महामारी ने उन अप्रत्याशित संकटों के प्रति हमारी आंखें खोल दीं, जो किसी भी समय बिना कोई चेतावनी दिए आ सकते हैं. इनमें मेडिकल इमरजेंसी, एक्सीडेंट, जॉब लॉस, सैलरी कट और सबसे खराब स्थिति यानी परिवार में अप्रत्याशित मौत भी शामिल है. घर के लिए एक इमरजेंसी फंड जरूर रखें, जिससे कम से कम छह महीने का खर्च चल सके. इस फंड को बेवजह इस्तेमाल न करें और इसे लगातार बढ़ाते रहें। यह फंड उन फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में लगाना चाहिए, जिन्हें इमरजेंसी की स्थिति में तुरंत बेच सकें.
महामारी ने हमें यह भी सिखाया है कि लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस भी बेहद जरूरी निवेश हैं, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए. एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान में निवेश जरूर करें, जो आपकी मृत्यु होने पर या किसी अन्य दुर्भाग्यपूर्ण हालात में आपके आश्रितों के लिए सहारा बन सके। साथ ही, उन्हें आर्थिक रूप से सिक्योर करे. आप इस प्लान को टोटल डिसएबिलिटी और क्रिटिकल इलनेस आदि राइडर्स से टॉप-अप भी कर सकते हैं. यह आपकी सुरक्षा में इजाफा ही करेगा.
जिंदगी के अहम पलों जैसे जॉब में प्रमोशन, बच्चे का जन्म होने आदि पर कुछ साल तक लगातार अपने लाइफ इंश्योरेंस प्लान का रिव्यू करते रहें. साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि आप और आपका परिवार पर्याप्त रूप से कवर हो रहा है.
महंगी होती मेडिकल सुविधाएं हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को अहम बनाती हैं. अपने परिवार की मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए हेल्थ प्लान का विकल्प जरूर चुनें. साथ ही, यह भी इंश्योर करें कि परिवार का प्रत्येक सदस्य इस प्लान में कवर हो रहा है.
जब आप परिवार के लिए फाइनेंशियल प्लान पर काम कर रहे हैं तो इसमें बच्चों के साथ-साथ सभी को शामिल करें. बच्चे ऑब्जर्वेशन से सीखते हैं. ऐसे में परिवार का फाइनेंशियल प्लान बनाते वक्त बच्चों को शामिल करने से उन्हें कम उम्र में ही फाइनेंशियल डिसिप्लेन को समझने में मदद मिलती है.
अपनी आमदनी को समझना और उसे मैनेज करना अक्सर कठिन और टाइम कंज्यूमिंग होता है. ऐसे में भरोसेमंद और जानकार फाइनेंशियल एडवाइजर से कंसल्ट करें, जो आपको सिखाएगा. आपकी मदद करेगा और अलग-अलग इनवेस्टमेंट ऑप्शंस जैसे विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स, टैक्स बेनिफिट आदि को लेकर गाइड भी करेगा.
अहम बात यह है कि बुद्धिमानी और विवेकपूर्ण तरीके से की गई फाइनेंशियल प्लानिंग आपको व आपके परिवार को नियंत्रित रखती है, साथ ही, बिना किसी डर के सपनों को अचीव करने का मौका भी देती है.
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