कोविड-19 ने दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. अनगिनत लोग तो आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए. कोरोना वायरस ने हमें बहुत सी शिक्षा दी है, इन्हीं में से एक आर्थिक रूप से तैयार रहने की सीख है. आज के दौर में वित्तीय साक्षर होना बहुत जरूरी हो चुका है. इसे समझने के लिए पहले हमें कुछ आंकड़ों पर ध्यान देना होगा.
Standard & Poor’s द्वारा कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, 76 फीसदी भारतीय मूलभूत आर्थिक बातों को समझ नहीं पाते. वित्तीय सेवाओं का इस्तेमाल करने वाला पढ़ा-लिखा वर्ग तो फिर भी वित्तीय रूप से साक्षर है, किंतु अभी भी लाखों लोग ऐसे हैं जो बदलते हुए वित्तीय परिदृश्य को लेकर अनजान है.
वित्तीय साक्षरता का संबंध, विभिन्नय वित्तीय अवधारणाओं और क्षमताओं व सेवाओं के प्रति समझ से है. इनमें पर्सनल फाइनेंस, बजटिंग और निवेश वगैरह शामिल होते हैं. जैसे-जैसे विभिन्न देशों की सरकारें वित्तीय सेवाओं में इजाफा कर रही हैं, वैसे-वैसे बैंक खातों और क्रेडिट प्रोडक्ट की संख्या बढ़ रही है.
वित्तीय साक्षरता हासिल करने के लिए एक कीमत चुकानी होती है. जो लोग बढ़ते ब्याज की समझ नहीं रखते, उन्हें ज्यादा कर्ज चुकाना पड़ता है. उनके लिए लोन बहुत महंगा पड़ता है. साथ में उन्हें अधिक कर्ज लेना पड़ता है और फिर उनकी बचत कम हो जाती है.
मान लीजिए आप 25 वर्ष के हैं और हर महीने बैंक खाते में 5 हजार रुपए की बचत करते हैं, जिस पर आपको 8 फीसदी का सालाना ब्याज प्राप्त होता है. क्या आपको पता है 40 की उम्र में आपके पास कितना पैसा होगा? 15 साल में आप 9.05 लाख रुपए जमा करेंगे और आपको 17.58 लाख रुपए प्राप्त होगा.
यदि आप 20 वर्ष की उम्र से ही इतनी बचत करने लगेंगे को 12.05 लाख रुपए की जमा पर आपको कुल 29.89 लाख रुपए मिलेंगे. इससे आप समझ सकते हैं कि युवावस्था में ही बचत करना शुरू करने से कितना फायदा होता है.
लक्ष्य हासिल करना – हम अपनी छोटी अवधि और लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए बचत करते हैं. इनमें छुट्टियां बिताना, कार लेना, मकान बनाना, बच्चों की शिक्षा वगैरह शामिल होती हैं. आपातकाल – आपात स्थिति से निपटने के लिए भी हमें पैसे की जरूरत होती है. इनमें नौकरी चले जाना या फिर मेडिकल खर्च वगैरह शामिल होते हैं. रिटायरमेंट – यदि आप रिटायर होने जा रहे हैं तो आपको रोजमर्रा की जरूरतों के लिए एक नियमित आमदनी की आवश्यकता होती है. यह आपकी बचत और निवेश से ही प्राप्त हो सकती है.
बजट तैयार करें: अपने खर्च का हिसाब-किताब रखें, इसके लिए बजट तैयार करें. इससे आपको योजना बनाने में मदद मिलेगी और इस बात का ध्यान रहेगा कि एक तय सीमा से अधिक खर्च नहीं करना है.
इमरजेंसी फंड रखें: यदि आपकी आमदनी 30 हजार रुपए है और 15 हजार रुपए का नियमित खर्च है तो, आपके पास 60 हजार से 1 लाख रुपए का इमरजेंसी फंड होना चाहिए.
वित्तीय लक्ष्य तैयार करें: अपने लिए वित्तीय लक्ष्य तय करें. आप अपने पैसों से क्या हासिल करना चाहते हैं, इस बात की समझ बहुत आवश्यक होती है. इसके बिना आपका वित्तीय प्रबंधन कोई मायने नहीं रखता. कर्ज से बचें: जरूरत न होने पर लोन न लें. कर्ज लेना आसान होता है, लेकिन इसे चुकाना कठिन होता है. लोन चुकाने के लिए नियमित आमदनी जरूरी होती है. साथ ही आपको ब्याज भी देना पड़ता है.
आर्थिक साक्षर बनें: जिस निवेश की आपको समझ नहीं है, उस पर पैसा न लगाएं. निवेश के लिए अधिक से अधिक जानकार बनें. समय के साथ नई-नई चीजें सीखते रहें.
निवेश करें, कई उत्पादों पर पैसा लगाएं: जितनी लंबी अवधि के लिए आप निवेश करेंगे, आपको उतना अधिक फायदा होगा. किसी एक ही निवेश उत्पाद, जैसे शेयर, पर पूरा पैसा लगाने से बचें. अपने पोर्टफोलियो का व्यापक बनाएं.
Rich Dad Company के फाउंडर Robert Kiyosaki का कहना है, “एकैडमिक शिक्षा के साथ-साथ वित्तीय शिक्षा भी बहुत जरूरी होती है. दोनों अहम हैं, किंतु स्कूलों में एक को छोड़ दिया जाता है.”
ऊपर बताई बातों का ध्यान रखें और वित्तीय रूप से समझदार बनें. इसके बहुत से फायदे हैं. जो लोग वित्तीय जानकारियां रखते हैं वे बेहतर तरीके से बचत कर पाते हैं और अच्छी रिटायरमेंट प्लानिंग तैयार करते हैं. युवावस्था से ही निवेश करने से जीवन की कई वित्तीय कठिनाइयों पर विजय पाया जा सकता है.
(लेखक LearnApp.com के फाउंडर हैं)
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