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शॉर्ट-टर्म में टैक्स बचे और वैल्थ भी बढ़े, इसके लिए कहां करें निवेश

ऐसा नहीं है कि केवल लोंग-टर्म में निवेश पर ही टैक्स-बेनिफिट मिलते है, कुछ इंवेस्टमेंट प्लान आपको शोर्ट-टर्म के लिए भी टैक्स में राहत दे सकते है.

  • Team Money9
  • Last Updated : July 20, 2021, 08:57 IST
बीमाधारक की मौत होने पर नॉमिनी को मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है. यानी इस पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है.
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Tax-Saving investment: यदि आप दो-तीन साल बाद होम लोन लेना चाहते है तो होम लोन लेने के बाद आपको टैक्स बचाने के में काफी आसानी होगी, लेकिन तब तक के लिए टैक्स कैसे बचाए यह सवाल कई निवेशकों को परेशान करता है. टैक्स एक्सपर्ट बताते है कि, आपको ऐसे शोर्ट-टर्म इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट में निवेश करना चाहिए जो दो-तीन साल बाद घर के लिए पैसों की जरूरत को पूरा करने में मदद करे और आपकी इनकम को टैक्स से बचाके रखे.

इनकम टैक्स प्रेक्टिशनर CA मयूर पाठक के मुताबिक, उम्र जोखिम लेने की क्षमता, उद्देश्य और टैक्स स्लेब को ध्यान में रखते हुए आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), डेट म्यूचुअल फंड, युनिट लिंक्ड इंवेस्टमेंट प्लान (ULIP), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), सीनियर सीटिजन सेविंग स्कीम (SCSS), टैक्स सेविंग बॉन्ड, टैक्स-सेविंग FD और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP) जैसे विकल्पों में से किसी एक विकल्प को चुन सकते है.

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)

टैक्स बचाने के लिए ELSS को बेहतर विकल्प माना जाता है. इससे आपका म्यूचुअल फंड इंवेस्टमेंट भी डाइवर्सिफाय रहता है. इन्हें टैक्स-सेविंग फंड भी कहते है. इसमें निवेश करने पर 3 साल के लिए आपका पैसा लोक रहता है, लेकिन उसके बाद आप निवेश किए पैसे निकाल सकते है. ELSS केवल एक ही म्यूच्युअल फंड योजना है, जिससे निवेशक को धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.

युनिट-लिंक्ड इंवेस्टमेंट प्लान (ULIP)

ULIPs मार्केट से जुडे हुए प्लान है, जिसके तहत निवेशक को इंवेस्टमेंट के साथ प्रोटेक्शन का लाभ मिलता है. सालाना 1.5 लाख रूपए तक का प्रीमियम सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन के योग्य है. यदि आपका सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रूपए की सीमा से कम है तो भी आप सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स-फ्री रिटर्न के लिए हकदार है. ULIP के तहत जो इंश्योर्ड है उसकी मृत्यु के केस में उसके परिवार को मिलने वाला लाइफ इंश्योरेंस कवर सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स-फ्री है.

डेट-आधारित म्यूचुअल फंड

फिक्स्ड रिटर्न और सुरक्षित निवेश के लिए यह बेस्ट विकल्प है. यह डेट-आधारित शोर्ट-टर्म निवेश योजनाएं हैं, जिसके माध्यम से आप ऐसे उपकरणों में निवेश कर सकते हैं जो निश्चित ब्याज उत्पन्न करते हैं. ऐसे डेट म्यूचुअल फंड्स में कॉर्पोरेट बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज शामिल है. डेट फंड को फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज या शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान भी कहा जाता है, क्योंकि आपको इन फंडों के जारीकर्ताओं द्वारा दिए गए या पूर्व-निर्धारित दर तक ब्याज मिलता है. डेट फंडों से होने वाले पूंजीगत लाभ पर होल्डिंग अवधि के आधार पर टैक्स लगता है, इसलिए टैक्स बचाने में इससे फायदा नहीं होगा, लेकिन जो निवेशक रिस्क लेने से डरते है उनके लिए यह अच्छा विकल्प है.

टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट

टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट एक टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्लान है जो आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर लाभ देता है. आप पांच साल की लॉक-इन अवधि वाली इन शॉर्ट टर्म निवेश योजनाओं में निवेश करके अधिकतम 1,50,000 रूपए की कर-कटौती प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, आपको जो ब्याज मिलेगा वह टैक्सेबल गीना जाएगा. बचत खाते की तुलना में, शोर्ट-टर्म निवेश योजनाओं में अधिक रिटर्न देने की क्षमता होती है.

फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP)

FMP क्लोज-एंडेड डेट फंड हैं जिनके साथ एक निश्चित परिपक्वता अवधि जुड़ी होती है. उनका कार्यकाल 30 दिनों से लेकर 5 वर्ष तक होता है. टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्लान के तौर पर ये फिक्स्ड डिपॉजिट से काफी अलग होते हैं. जब आप इन निवेश योजनाओं में एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए निवेश करते हैं, तो आप मुद्रास्फीति दरों के विरुद्ध अपनी कर देयता को प्रभावित करने के लिए इंडेक्सेशन से लाभ उठा सकते हैं. FMPs के जरिए आप एसेट अलोकेशन के लिए भी इनमें निवेश कर सकते है.

Published - July 20, 2021, 07:56 IST

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