अनुभवी निवेशकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि इक्विटी बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव से भरा हुआ एसेट क्लास है. यह कहना है UTI AMC के फंड मैनेजर और हेड-रिसर्च सचिन त्रिवेदी का. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि इस बाजार के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि इन्वेस्टर को लंबी अवधि के लिए एसेट एलोकेशन रणनीति पर टिके रहना चाहिए और रोजाना ट्रेडिंग से बचना चाहिए. लंबी अवधि के लिए निवेश में फायदे की संभावना बढ़ जाती है.
भारत की इक्विटी एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) से GDP का अनुपात केवल 5 प्रतिशत है जो कि वैश्विक औसत (34 प्रतिशत) की तुलना काफी कम है. यह योगदान पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा है और यह प्रवृत्ति आगे जारी रहनी चाहिए. एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी रियल रिटर्न्स के मामले में अन्य एसेट वर्गों (चाहे वह गोल्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट, या रियल एस्टेट हो) से बेहतर प्रदर्शन कर रही है.
बेहतर जागरुकता के साथ, इस एसेट के लिए एलोकेशन में सुधार होना चाहिए. पिछले वित्त वर्ष में इंडस्ट्री में आउटफ्लो देखा गया था. फरवरी और मार्च 2020 में डीप करेक्शन के बाद, एकमुश्त निवेश नेगेटिव था, लेकिन SIP फ्लो स्थिर था. हालांकि, हमें यह याद रखना चाहिए कि पिछले रिटर्न भविष्य के एलोकेशन में अहम भूमिका निभाते हैं. पिछले एक साल के नतीजे (वित्तीय वर्ष 2021) इस भरोसे को मजबूत करेंगे कि एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी ने अन्य उपलब्ध विकल्पों की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है.
वैल्यूएशन मैट्रिक्स जैसे प्राइस टू अर्निंग के मामले में, व्यापक बाजार और कई स्टॉक एक महंगे जोन में हैं, और निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है. हालांकि, यह भी सच है कि वित्तीय वर्ष 21 को छोड़कर, पिछले कुछ वर्षों से कमाई का प्रदर्शन कमजोर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में, कमाई का प्रदर्शन बैंकिंग बैलेंस शीट, NBFC में तरलता की कमी और अन्य सेक्टरों के संबंधित प्रभाव, विमुद्रीकरण और GST जैसे कारकों से प्रभावित हुआ था. इनमें से कुछ कार्यों का लाभ अगले कुछ वर्षों में दिखना चाहिए.
निवेशक चाहे नया हो या अनुभवी, उसे याद रखना चाहिए कि एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी उतार-चढ़ाव से भरा हुआ होता है. इस बाजार में निवेश का सही तरीका एक अच्छी एसेट एलोकेशन रणनीति का पालन करना है, न कि छोटी अवधि के लिए ट्रेड करना. लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर इसमें बेहतर रिटर्न मिलता है. निवेशकों को मेरा सुझाव है कि एक एसेट एलोकेशन प्लान के आधार पर निवेश करें. यह अनुशासन एक निवेशक को उसकी लंबी अवधि के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है.
हम कमाई के नजरिए से बाजार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं, तो हमने पिछली कुछ तिमाहियों में कमाई में सुधार देखा है. और यह सुधार मुख्य रूप से बेहतर लागत प्रबंधन के कारण हुए हैं. कुछ कंपनियों/क्षेत्रों में भी बेहतर मांग का माहौल देखा गया है. टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर-फेसिंग कंपनियां और खास तौर पर केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में तेजी देखी जा रही है. हम उम्मीद करते हैं कि यह आने वाली तिमाहियों में भी जारी रहेगी, लेकिन इस दौरान ऑटो और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसे क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा.
ऑटो, यात्री वाहनों और ट्रैक्टरों जैसे क्षेत्रों में अच्छी मांग देखी गई है, लेकिन टू व्हीलर और कमर्शियल वाहनों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि इस सेक्टर में मांग का माहौल बनेगा और कंपनियों को मूल्य निर्धारण की शक्ति प्रदान की जाएगी, नतीजतन भविष्य में बेहतर कमाई होगी.
सेक्टर/थीमैटिक फंड एक या एक से अधिक सेक्टरों पर केंद्रित होते हैं और इनमें जोखिम ज्यादा होता है. लेकिन निवेशक इस क्षेत्र को अच्छी तरह से समझ लें, तो वह हाई रिटर्न ले सकता हैं. इस सेक्टर को जोखिम भरा भी माना जाता है क्योंकि रिस्क विभिन्न सेक्टरों में डाइवर्सिफाई नहीं किया जाता है. सही समय पर एंट्री और एग्ज़िट की जानकारी रखने वाले अनुभवी निवेशकों की सलाह के अनुसार इसमें इंवेस्ट करना चाहिए. निवेशकों के पास डायवर्सिफाइड और सेक्टर/थीमैटिक फंडों के लिए एलोकेशन का सही मिश्रण होना चाहिए. आदर्श रूप से, इन फंडों के लिए अधिकतम एलोकेशन इक्विटी एलोकेशन के 15% से 20% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
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