Equity Fund: आपने अक्सर सुना होगा कि “सपने देखने में कोई टैक्स नहीं लगता है”, लेकिन जब आप अपने इन्ही सपनों को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट करना स्टार्ट करते हैं. तो वहां बात कुछ अलग हो जाती है. फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को वास्तविकता के चश्मे से देखने पर हमें मालूम पड़ता है कि कोई भी निवेश टैक्स अटैच्ड के बिना नही आता है. चाहे वह फिक्स्ड डिपॉजिट्स हो या म्यूचुअल फंड, आप को टैक्स चुकाना ही पड़ता है.
हालांकि टैक्स मैनेजिंग एक बोझ नहीं होना चाहिए. बल्कि यह एक केयरफुल प्लानिंग और डिसिप्लिन का तरीका होना चाहिए. खासकर जब म्यूचुअल फंड की बात आती है तो निवेशक आज इसमें कई तरह के निवेश कर सकते हैं.
म्युचुअल फंड भी टैक्स एडवांटेज के साथ आते हैं, यही वजह है कि निवेशकों को इसमें निवेश से प्राप्त इनकम के टैक्स इम्प्लिकेशन्स को समझना चाहिए. कैपिटल गेन्स निवेशकों द्वारा अपने म्यूचुअल फंड निवेश पर अर्जित लाभ होता है. जब वे म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचते हैं.
कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) या लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) के रूप में क्लासिफाइड किया जा सकता है. साथ ही यह म्युचुअल फंड यूनिट्स की होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है. जिसे खरीद की तारीख से बिक्री की तारीख तक मापा जाता है. इन लाभों पर लगने वाले टैक्स को ‘कैपिटल गेन्स टैक्स’ कहा जाता है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री को होल्डिंग अवधि के आधार पर एलटीसीजी या एसटीसीजी के तहत क्लासिफाइड किया जाता है. अगर लिस्टेड इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स 12 महीने से कम समय के लिए रखी जाती हैं. तो शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स के आधार पर 15% की दर से टैक्स लगेगा.
यदि लिस्टेड इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स कम से कम 12 महीने या उससे अधिक के लिए रखी जाती हैं,तो उस पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स के आधार पर 10% टैक्स लगता है. बशर्ते इस तरह का गेन एक फाइनेंशियल वर्ष में 1 लाख रुपये की सीमा से अधिक हो. क्योंकि 1 लाख रुपये तक के LTCG पर टैक्स छूट मिलती है.
लेकिन इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स के कारण आपको इक्विटी फंड में निवेश करने से नहीं नहीं रुकना चाहिए. आप बिना किसी टेंशन के वेल्थ क्रिएट कर सकते हैं. आप अपने इक्विटी फंड में निवेश के तरीके को बदलकर एलटीसीजी (LTCG) टैक्स के प्रभाव को आसानी से कम कर सकते हैं.
आइए एक नजर डालते हैं कि आप इक्विटी फंड्स पर टैक्स को अधिक प्रभावी ढंग से कैसे कम कर सकते हैं.
– निवेश का निर्णय लेने से पहले सुनिश्चित करें कि आपको इक्विटी फंड के बारे में पूरी जानकारी है या नहीं. क्योंकि ऐसा करने से आप गलत इक्विटी फंड में निवेश करने से बच जायेंगे और साथ ही आप बिना वजह पैसे निकालने से भी बचेंगे जिससे आपकी टैक्स लायबिलिटी पर फर्क आएगा. लेकिन अगर आपको उचित चुनाव करने में कठिनाई हो रही है. तो अपने नुकसान के रिस्क को कम करने के लिए आपको एक फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह लेनी चाहिए.
-इक्विटी फंड यूनिट्स की बार-बार खरीदारी और बिक्री से बचें. इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश को लंबी अवधि के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए.
– केवल उन इक्विटी फंडों का चयन करें जिनका एक लंबी अवधि के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन रहा हो. इससे आपको यह पता चलेगा कि इस प्रकार के ट्रैक रिकॉर्ड वाले इक्विटी फंड ने बाजार के उतार-चढ़ाव को पहले भी झेला है. और अगर आगे भी कोई कठिन परिस्थिति आती है तो यह फंड अच्छा प्रदर्शन करेगा.
– यह ध्यान रखना समझदारी होगी कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए वार्षिक छूट की सीमा 1 लाख रुपये है. अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं करने वाली किसी भी स्टॉक फंड यूनिट्स को बेचकर इस ऊपरी सीमा का सबसे बेहतर उपयोग करें.
-ओवरआल फाइनेंशियल प्लान के हिस्से के रूप में इक्विटी फंड में जरूर निवेश करें. आपके एंट्री और एग्जिट पॉइंट आपके इन्वेस्टमेंट होराइजन और पर्सनल ऑब्जेक्टिव के अनुरूप होने चाहिए.
– सामान्य परिस्थितियों में इन्फ्लेशन अडजस्टेड रिटर्न के मामले में इक्विटी निवेश ने ऐतिहासिक रूप से डेट से बेहतर प्रदर्शन किया है. इसके अलावा अपने हायर आफ्टर टैक्स रिटर्न के कारण इक्विटी फंडों ने डेट फंडों से बेहतर प्रदर्शन किया है.
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