How to Save Income from Tax: कई लोग एजंट की बातों में फंस कर गलत जगहों पर निवेश करने की गलती कर देते हैं. ऐसा करने से ना तो उन्हें अच्छा रिटर्न कमाने को मिलता हैं, और ना ही टैक्स बचाने में. यदि आप अपनी इनकम को टैक्स से बचाना चाहते हैं, तो आपको विभिन्न विकल्पों के बारे में जानकारी रखनी होगी और अपने लिए एक बेहतर टैक्स-सेविंग पोर्टफोलियो बनाना होगा. आयकर कानून कि धारा 80C के अलावा दूसरी कई धारा के तहत कर-कटौती का लाभ मिलता हैं, उसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी होगी.
सेक्शन 80C के तहत आप साल में 1.5 लाख रुपये का टैक्स-बेनिफिट क्लेम कर सकते है. इसके लिए आप PPF, EPF, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, ELSS, होम लोन, प्रॉपर्टी की खरीदारी पर स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन के शुल्क, सुकन्या समृद्धि योजना (SSY), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), यूलिप, 5 साल की टैक्स सेविंग FD, इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जैसे निवेश का उपयोग कर सकते हैं.
टैक्स बचाने का ये अच्छा साधन है. सेक्शन 80C के तहत लाइफ इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर आप कर लाभ मांग सकते हैं. मैच्योरिटी बेनिफिट या बोनस बेनिफिट वाले प्लान को भी सेक्शन 10(10D) के तहत फूल एग्जेंप्शन दिया गया है.
खुद, पति/पत्नी और बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए 25,000 रुपये तक के प्रीमियम पर सेक्शन 80D के तहत आप इनकम टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं. पेरेंट्स के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए आप अतिरिक्त 25,000 रुपये का क्लेम कर सकते हैं. अगर पेरेंट्स की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो इस डिडक्शन की रकम 50,000 रुपये होगी.
म्यूच्युअल फंड में निवेश पर शॉर्ट-टर्म, लोंग-टर्म केपिटल गेईन, STT, DDT जैसे टैक्स लगते है, लेकिन इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) सिर्फ एक ही म्यूच्युअल फंड योजना है, जिसे धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिली है.
डाकघर की 5 वर्षीय टाइम डिपॉजिट स्कीम, SCSS, PPF, NSC, SSY को धारा 80C के तहत कर-लाभ के दायरे में रखा गया है. धारा 80TTA के तहत बैंक, कोऑपरटिव सोसाइटी या पोस्ट ऑफिस में सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाली इंटरेस्ट इनकम पर अधिकतम 10,000 रुपये के डिडक्शन को मंजूरी है.
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी, ULIP मार्केट से जुड़े प्लान हैं, इनके तहत निवेशक को इनवेस्टमेंट के साथ प्रोटेक्शन का लाभ मिलता है. इसमें सालाना 1.5 लाख रुपये तक का प्रीमियम सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन के योग्य है. यदि आपका सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये की सीमा से कम है तो भी आप सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स-फ्री रिटर्न के लिए हकदार हैं. ULIP के तहत जो इंश्योर्ड है उसकी मृत्यु के केस में उसके परिवार को मिलने वाला लाइफ इंश्योरेंस कवर सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स-फ्री है.
इनके अलावा आप टैक्स सेविंग बॉन्ड, टैक्स-सेविंग FD और हाउसिंग लोन पर भी मैक्सिमम टैक्स बचा सकते हैं. टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट प्लान्स को पसंद करते वक्त लिक्विडिटी, रिटर्न और सेफ्टी जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखना चाहिए.
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