Difference Between Nominee And Successor: अक्सर लोग नॉमिनी और उत्तराधिकारी को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन सही मायनों में दोनों के मतलब ही नहीं अधिकार भी अलग अलग हैं. यहा हम आपको यही अंतर (Difference Between Nominee And Successor) बताने जा रहे हैं. CA रोहित दुआ के मुताबिक, दरअसल, नॉमिनी किसी भी चल-अचल संपत्ति का मालिक नहीं होता है. वह केवल आपके पैसों का केयरटेकर होता है. नॉमिनी बस कुछ समय के लिए मृतक की संपत्ति के धारक के रूप में कार्य करता है और इसे मृतक द्वारा तैयार की गई इच्छा के अनुसार, कानूनी उत्तराधिकारी को सौंपता है.
नॉमिनी को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी विशेष मामले में उसके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने के लिए चुना जाता है. वह व्यक्ति के निधन पर चल-अचल संपत्ति प्राप्त करता है.
आमतौर पर एक व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों को ही नॉमिनी बनाता है. यदि व्यक्ति का परिवार नहीं है, तो वह किसी भी व्यक्ति को नॉमिनी बना सकता है.
हालांकि, संपत्ति के मालिक को किसी न किसी को नॉमिनी जरूर बनाना चाहिए. नहीं तो मृत्यु होने के बाद कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं. अगर नॉमिनी का नाम न हो तो जमा राशि पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसके लिए कानूनी कार्रवाई काफी लंबी होती है.
एडवोकेट संदीप परमार के मुताबिक, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार पुत्री, पुत्र, विधवा और मां क्लास-1 उत्तराधिकारी में आते हैं. वहीं, पिता, पुत्र व पुत्री का बेटा व बेटी, भाई, बहन, भाई व बहन की संतान क्लास-2 में आते हैं.
कानूनी उत्तराधिकारी वह होता है जो व्यक्ति के निधन पर उसकी संपत्ति प्राप्त करने का आधिकारिक रूप से हकदार होता है.
संपत्ति के मालिक की मृत्यु के बाद उसके संबंधियों को संपत्ति सौंप दी जाती है. जन्म के साथ पैतृक संपत्ति पर उत्तराधिकार प्राप्त होता है.
अगर किसी ने अपनी कमाई बैंक में जमा की हुई है और खाते में किसी को नॉमिनी बनाया है, लेकिन अपनी संपत्ति की वसीयत नहीं की है, तो ऐसी स्थिति में शख्स की मौत हो जाने पर नॉमिनी बैंक से पैसे निकालकर क्लास-1 उत्तराधिकारी को देता है.
सभी क्लास-1 उत्तराधिकारियों का पैसे पर बराबर का हक होता है. लेकिन, अगर क्लास-1 उत्तराधिकारियों में से कोई नहीं है, तो क्लास-2 उत्तराधिकारियों में बंटवारा किया जाता है.
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