म्युचुअल फंड (MF) ने कई नई योजनाएं शुरू की हैं. जिन्हें टारगेट मैच्योरिटी फंड कहा जाता है. जिसके तहत निश्चित मैच्योरिटी तिथि तक खरीदी और रखी जाती हैं. लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार ये निवेशकों को सरकारी बॉन्ड खरीदने और रखने के जैसा ही एक्सपीरियंस देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में आरबीआई रिटेल डायरेक्ट प्लेटफार्म का उद्घाटन किया. जिसके माध्यम से खुदरा निवेशक सीधे सरकारी बॉन्ड के साथ-साथ सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी खरीद सकते हैं. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के अलावा इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकारी बॉन्ड खरीदने पर निवेशकों को कोई और कर लाभ नहीं मिल रहा है. म्यूचुअल फंड से तुलना करें तो सरकारी बॉन्ड खरीदने पर कोई अन्य लाभ नहीं है.
ऐसी बॉन्ड्स की छोटी मात्रा के लिए सेकंडरी मार्केट में भी लिक्विडिटी खराब ही होती है. जब आप सरकारी बॉन्ड खरीदते हैं तो आपको उस पर सालाना या अर्ध वार्षिक ब्याज का भुगतान किया जाता है. ये ब्याज आपकी टैक्स स्लैब पर पुरी तरह से कर योग्य होता है जिस पर हर साल टैक्स लगता भी है. इसके विपरीत, यदि आप डेट म्यूचुअल फंड के माध्यम से वही सरकारी बॉन्ड खरीदते हैं, तो म्यूचुअल फंड के साथ ब्याज मिलता है. जब तक आप फंड से कुछ रिडीम नहीं करते, तब तक आप पर टैक्स नहीं लगता है. यदि आप तीन साल से अधिक समय तक फंड रखते हैं तो आपसे बीस प्रतिशत तक कैपिटल गेन टैक्स लगता है साथ ही इंडेक्सेशन का लाभ दिया जाता है.
लाइव मिंट के मुताबिक म्युचुअल फंड (MF) ने के टारगेट मैच्योरिटी फंड एक निश्चित तिथि तक खरीदे और रखे जाते हैं. यदि आप नियत तिथि से पहले फंड निकालना चाहते हैं तो फंड सेकंडरी मार्केट की तुलना में छोटी मात्रा में सरकारी बॉन्ड बेचने के लिए बेतरह मैच्योरिटी देता है. इसे ऑड लॉट भी कहा जाता है. दूसरी तरफ आप म्यूचुअल फंड में एक्सपेंस रेशो पे करते हैं जो काफी कम हो सकता है.
उदाहरण के लिए, भारत बॉन्ड ईटीएफ में व्यय अनुपात 0.0005% है. ये फंड एडलवाइस म्यूचुअल फंड (MF) मैनेज करता है. यदि आप भारत बॉन्ड फंड ऑफ फंड्स खरीदते हैं, जो ईटीएफ में निवेश करता है, तो व्यय अनुपात 0.05% होता है. भारत बॉन्ड ईटीएफ सरकारी बॉन्ड के बजाय एएए रेटेड सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड में निवेश करते हैं, लेकिन पीएसयू के लिए डिफॉल्ट जोखिम अपेक्षाकृत कम है.
2031 भारत बॉन्ड ईटीएफ की yield to maturity (YTM) 6.80 प्रतिशत है (15 नवंबर तक). इसकी तुलना में भारत सरकार की बॉन्ड यील्ड 6.36 प्रतिशत है. भारत बॉन्ड टारगेट मैच्योरिटी म्यूचुअल फंड (MF) का एक उदाहरण है. इस श्रेणी में कई अन्य योजनाएं हैं जो खुद को कम जोखिम वाले ऋण तक सीमित रखती हैं जैसे कि राज्य सरकार के बांड या सार्वजनिक क्षेत्र के बांड.
लैडर 7 फाइनेंशियल एडवाइजरी के फाउंडर सुरेश सदगगोपन के मुताबिक लिक्विडिटी एक सबसे महत्वपूर्ण लाभ है जो डेब्ट म्यूचुअल फंडों को मिलता है. इसके अलावा टैक्स एडवांटेज भी है, कैपिटल गैन्स टैक्स रूल्स के चलते म्यूचुअल फंड्स लोअर इफेक्टिव टैक्स रेट में आते हैं. ये कुछ छोटे छोटे लाभ हैं पर अपने निवेश को अलग-अलग प्लेटफार्म पर लॉक करने से ये ज्यादा बेहतर है. सदगगोपन सेबी के रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर भी हैं.
भारत बॉन्ड ईटीएफ के अलावा म्यूचुअल फंड ने और भी कई टारगेट मैच्योरिटी फंड लॉन्च किए हैं. उदाहरण के लिए निप्पॉन डायनेमिक फंड. जिसकी एवरेज मैच्योरिटी लगभग 8.9 साल है. ये स्टेट डेवलेपमेंड लोन्स में निवेश भी करता है. इसका एक टारगेट मैच्योरिटी स्ट्रक्चर भी है. एक्सिस म्यूचुअल फंड में 2026 की परिपक्वता अवधि का एएए बॉन्ड प्लस एसडीएल ईटीएफ है, जो पांच साल की समयावधि के लिए उपयोगी हो सकता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) टैक्स एडवांटेज के अपवाद हैं. यदि परिपक्वता अवधि के लिए धारित किया जाता है तो SGB किसी भी कैपिटल गेन टैक्स या अन्य इनकम टैक्स के अधीन नहीं होते हैं. SGB की अवधि आठ साल की होती है. आप एसजीबी को मैच्योरिटी से पहले भी बेच सकते हैं और इस मामले में तीन साल की होल्डिंग अवधि के बाद उन पर 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. यह गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (FOF) टैक्स के समान होगा. SGB पर 2.5% की दर से ब्याज आपकी स्लैब दर पर पूरी तरह से कर योग्य है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।