सदियों से मनुष्य का यह स्वभाव रहा है कि वह अधिक लाभ पाने की संभावनाओं से आकर्षित हो जाता है. भारत में भले ही आबादी का एक बड़ा हिस्सा मार्केट लिंक्ड रिटर्न से दूर हो, लेकिन उच्च रिटर्न का लालच आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच हमेशा छिपा रहा है. पिछले कुछ समय से गिरती ब्याज दरों के कारण बड़ी संख्या में लोगों का झुकाव इक्विटी से जुड़े विकल्पों में निवेश करने की ओर हो रहा है.
इस तरह के माहौल में क्रिप्टोकरेंसी के उद्भव और इसको लेकर उत्साह ने युवाओं के बीच तेजी से पैसा कमाने की सनक पैदा कर दी है. इस मामले में अधिकारियों को कदम उठाने की जरूरत है. जानकारी के अभाव में सिर्फ लालच के कारण जो लोग अपने पैसे को जोखिम में डालते हैं, उनकी पूंजी के नष्ट होने का खतरा काफी अधिक होता है. क्रिप्टो उद्योग एक प्रारंभिक अवस्था में है और कई कॉइन्स और टोकन्स से भरा हुआ है.
हितधारकों को फ़िल्टरिंग तंत्र के साथ आने की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करे कि लोग अपनी पूरी संपत्ति को किसी नए प्रोडक्ट पर दांव पर लगाकर बर्बाद ना हों. अधिकारियों द्वारा इस बात की अपेक्षा करना मूर्खतापूर्ण होगा कि केवल विज्ञापनों में छोटा सा डिस्क्लेमर चलाने से इन्वेस्टर एजुकेशन की आवश्यकता पूरी हो जाएगी. हितधारकों को निवेशक जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा और ऐसे एसेट क्लास में निवेश करने के जोखिमों पर जागरुकता फैलानी होगी, जो देश में विनियमित नहीं होते हैं.
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों का एजुकेशन लेवल अधिक है और वे डिजिटल-प्रेमी हैं, लेकिन लोगों द्वारा अत्यधिक जोखिम लेकर इसमें निवेश करना चिंताजनक है. क्रिप्टोकरेंसी के आसपास की नियामक अनिश्चितता भी अच्छे संकेत नहीं देती है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर इस एसेट क्लास पर चिंता जताई है.
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक को क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रमुख चिंताएं हैं और उन्होंने सरकार को इस बारे में अवगत कराया गया है. आरबीआई का कहना है कि यह व्यक्तिगत रूप से निवेशक पर निर्भर है कि वह निवेश से पहले उचित जांच पड़ताल कर ले. संदेश स्पष्ट है – अपने जोखिम पर निवेश करें. निवेश के खेल में नियमों के अनुसार खेलना हमेशा सुरक्षित होता है.
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