कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ESOP) की तरफ कंपनियों का झुकाव अचानक बढ़ा है. इस सदी के पहले दशक में देश में सबसे पहले ESOP देने वाली इंफोसिस (Infosys) के कर्मचारियों के एक के बाद करोड़पति बनने से प्रचलित हुई योजना अब टेक स्टार्टअप्स के बीच तेजी से अपनाई जा रही है.
फोनपे (PhonePe), लिशियस (Licious), शेयरचैट (ShareChat), वेकफिट (Wakefit) जैसी नई कंपनियों सहित उत्पादन क्षेत्र की बड़ी फर्में JSW स्टील और JSW एनर्जी भी अपने कर्मचारियों को ESOP का लाभ दे रही हैं. कैब राइड की सुविधा देने वाली ओला (Ola) भी स्कीम में विस्तार की योजना बना रही है. इसी तरह, इंफोसिस ने कहा है कि वह अच्छे कर्मचारियों को कंपनी में बनाए रखने के लिए फिर से ESOP का सहारा लेने वाली है. कोरोना के बाद की दुनिया में यह एक जरूरी टूल बन गया है.
ESOP के माध्यम से एंप्लॉयी को रिवॉर्ड दिया जाता है. हालांकि, किन्हें इसका लाभ दिया जाएगा, इसका फैसला मैनेजमेंट के हाथों में होना चाहिए. साथ ही, योजना का ढांचा कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाना चाहिए.
रिवॉर्ड की कीमत क्यों चुकाएं एंप्लॉयी?
योजना के तहत मिलने वाले शेयर के लिए एंप्लॉयी से पैसे नहीं लिए जाने चाहिए. आमतौर पर ESOP मिड या सीनियर लेवल पर अच्छा प्रदर्शन करने वालों को रिवॉर्ड के तौर पर दिया जाता है. ईनाम के लिए कर्मचारियों से ही पैसे लेने का कोई तुक नहीं बनता.
अगर सभी कर्मचारियों को ESOP योजना में शामिल किया जा रहा है, जैसा कुछ कंपनियां कर रही हैं, तो ऐसे में भी एंप्लॉयी पर अतिरिक्त खर्च का भार नहीं आना चाहिए. कुछ बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) ESOP के तहत शेयर खरीदने के लिए कर्ज देते हैं. हालांकि, इससे कर्मचारियों को भारी ब्याज चुकाना पड़ सकता है. यहां बेहतर होगा कि कंपनियां उन्हें इंटरेस्ट फ्री लोन दें.
अगर ESOP को किसी ट्रस्ट के जरिए लागू किया जा रहा है, तो कर्मचारियों को मिलने वाले शेयरों को कंपनी को फंड करना चाहिए. किसी भी हाल में एंप्लॉयी को उसकी कड़ी मेहनत के फल स्वरूप मिल रहे शेयरों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.
ESOP पर लगने वाले टैक्स की दें जानकारी
साथ ही, ESOP से जुड़े टैक्स की जानकारी भी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पहले ही दे देनी चाहिए. एंप्लॉयी जब ESOP के तहत मिले शेयरों को बेचते हैं, तो उसपर हुए कैपिटल गेन पर उन्हें टैक्स भरना होता है. शेयर कितने में बेचा गया और उसकी क्या कीमत थी जब वह कर्मचारी को दिया गया था, इन कीमतों के अंतर के हिसाब से टैक्स तय होता है.
केंद्र ने 2020 में ESOP से जुड़े नियमों में ढील की थी. पहले कर्मचारियों को शेयर मिलने के समय टैक्स भरना होता था. वित्तीय चुनौतियों से घिरी सरकार अगर लोगों के हित के लिए नियमों में बदलाव कर सकती है, तो कंपनियों को भी योजना के ढांचे को कर्मचारियों के लिए और लाभकारी बनाने पर काम करना ही चाहिए.
ESOP को कर्मचारियों के हित के लिए पेश किया जाता है. इसकी रूपरेखा भी वैसी ही होनी चाहिए. ESOP को कैसे तैयार किया गया है, उस हिसाब से इसका असर टैलेंट मार्केट पर लंबे समय तक देखने को मिलेगा.
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