अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आपको यूनिट ट्रांसफर और ट्रांसमिशन के बारे में जानकारी रखनी चाहिए. आपके निवेश किए गए पैसे से आपको जो यूनिट मिलती हैं, उसके साथ जुडे़ ये दोनों शब्द के बीच काफी अंतर है और टैक्सेशन का नियम भी अलग हैं.
फर्स्टहोल्डर के असामयिक निधन के मामले में एक म्यूचुअल फंड के यूनिट्स जीवित सदस्य को स्थानांतरित कर दी जाती हैं, इसे म्यूचुअल फंड के ‘ट्रांसमिशन’ के रूप में जाना जाता है. दूसरी ओर, एक ‘ट्रांसफर’ तब होता है जब सभी यूनिट धारक जीवित होते हैं.
सेबी के MF रेगुलेशन 1996 के तहत म्यूचुअल फंड्स को इन्वेस्टर्स की अपनी मौजूदा म्यूचुअल फंड यूनिट्स ट्रांसफर करने की अनुमति दी गई है, लेकिन फंड हाउसेज सभी यूनिट को ट्रांसफर करने की इजाजत नहीं देते हैं. यूनिट होल्डर की मृत्यु के मामलों में म्यूचुअल फंड हाउस यूनिट ट्रांसफर की सहूलियत देते हैं. फंड हाउसेज का तर्क यह है कि चूंकि इन म्यूचुअल फंड यूनिट्स को जल्दी से बेचा और समाप्त किया जा सकता है, इसलिए यूनिट ट्रांसफर करने का कोई मतलब नहीं है.
अगर किसी यूनिट होल्डर की मृत्यु हो जाती है और उस अकाउंट में कोई ज्वाइंट होल्डर (संयुक्त खाताधारक) नहीं होता है तो यूनिटें नॉमिनी (नामित व्यक्ति) को ट्रांसफर कर दी जाती हैं.
ट्रांसमिशन एक निवेशक की मृत्यु के बाद होता है, जहां मृतक यूनिटहोल्डर द्वारा रखे गए म्यूचुअल फंड यूनिट नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को स्थानांतरित कर दी जाती हैं. ट्रांसमिशन के वक्त, कोई टैक्स शामिल नहीं है. म्यूचुअल फंड यूनिट्स का ट्रांसमिशन यूनिटधारक की मृत्यु के बाद नामित और / या जीवित यूनिटधारकों को यूनिट के संचरण को संदर्भित करता है.
‘ट्रांसफर’ शब्द ‘ट्रांसमिशन’ से अलग है और तदनुसार, नॉमिनी को यूनिट्स के ट्रांसमिशन पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा क्योंकि इसके परिणामस्वरूप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(47) के तहत कोई ट्रांसफर नहीं होता है.
एक बार ट्रांसमिटेड यूनिट्स को 15 दिनों की कूलिंग अवधि के बाद किसी भी समय रिडीम या स्विच या ट्रांसफर किया जाता है, तो यदि कोई लाभ हो रहा है तो वह कर योग्य हो जाएगा.
ट्रांसमिटेड यूनिट्स के प्राप्तकर्ताओं को ट्रांसमिशन की तारीख से 15 दिनों के भीतर ऐसी यूनिट्स को रिडीम या स्विच या ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं है.
जब इस तरह की (ट्रांसमिटेड) यूनिट्स को रखने वाला नामांकित व्यक्ति ऐसी यूनिट्स को आगे किसी भी व्यक्ति को हस्तांतरित करता है, तो उक्त लेनदेन पूंजीगत लाभ टैक्सेबल होगा. लेकिन, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स का निर्धारण करने के लिए किस तारीख को शुरुआती निवेश की तारीख माना जाएगा – मूल निवेश की तारीख या ट्रांसमिशन की तारीख?
होल्डिंग की अवधि की गणना निवेश की मूल तिथि से की जाएगी और साथ ही मूल यूनिटधारक के अधिग्रहण की लागत को धारा 49(1)(iii)(a) के अनुसार पूंजीगत लाभ की गणना के लिए अधिग्रहण लागत के रूप में समझा जाएगा.
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