इंश्योरेंस सेक्टर रेगुलेटर Irdai ने सभी बीमा कंपनियों से कहा है कि वे अपनी हेल्थ इंश्योरेंस सेटलमेंट प्रोसेस को लेकर ज्यादा पारदर्शी प्रक्रिया अपनाएं. इरडा ने कहा है कि यदि कोई बीमा कंपनी किसी पॉलिसीहोल्डर्स के क्लेम को खारिज करती है तो उसे उसकी वजह भी बतानी होगी.
एक सर्कुलर में इरडा (Irdai) ने कहा है कि सभी बीमा कंपनियों के लिए क्लेम प्रोसेस के अलग-अलग चरणों में पॉलिसीहोल्डर के साथ स्पष्ट और पारदर्शी रूप से संवाद किया जाना चाहिए.
Irdai ने अपने सर्कुलर में कहा है, “सभी बीमा कंपनियों को एक सिस्टम खड़ा करना होगा ताकि पॉलिसीहोल्डर बीमा कंपनी/टीपीए की वेबसाइट/पोर्टल/एप या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक जरिए से अपने कैशलेस अनुरोध/क्लेम्स का स्टेटस जान सकें.”
‘हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स सेटलमेंट’ सर्कुलर को जीवन, जनरल और स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के लिए जारी किया गया है और इसमें थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर्स (TPA) को भी शामिल किया गया है.
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Irdai) ने अपने सर्कुलर में कहा है कि अगर TPA बीमा कंपनियों की ओर से क्लेम को सेटल कर रही हैं तो पॉलिसीहोल्डर को पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए और उनके साथ सभी कम्युनिकेशंस होने चाहिए ताकि वे क्लेम्स को ट्रैक कर सकें.
Irdai ने बीमा कंपनियों से कहा है कि क्लेम्स को खारिज करना पूर्वधारणाओं और अनुमान पर आधारित नहीं होना चाहिए.
Irdai ने कहा है, “जैसा कि IRDAI (हेल्थ इंश्योरेंस) रेगुलेशंस, 2016 में कहा गया है, जब कोई क्लेम खारिज किया जाता है तो बीमा कंपनी को इसकी वजह बताते हुए यह जानकारी पॉलिसीहोल्डर को देनी होगी.”
Irdai ने कहा है कि बीमा कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पॉलिसीहोल्डर को पेमेंट्स, खारिज की गई रकम और उसकी वजह जैसी जानकारियों को बारीक रूप में मुहैया कराना चाहिए.
इसके अलावा, बीमा कंपनियों को उनके यहां मौजूद शिकायत निस्तारण प्रणाली और इंश्योरेंस ओम्बड्समैन का भी उनके दफ्तरों के पतों समेत पूरा ब्योरा देना चाहिए.