दुनियाभर में महंगाई है. मंदी की आशंका बढ़ गई है यानी मुश्किल वक्त में गोल्ड की निवेश मांग बढ़ाने के लिए वजह की कमी नहीं. ऊपर से दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने रिजर्व में गोल्ड भर रहे हैं. लेकिन इन तमाम वजहों के बावजूद गोल्ड का भाव घटता ही जा रहा है. बीते 2 हफ्ते में भाव 1,800 रुपए से ज्यादा घट गया है. कम भाव और निवेश का माहौल होने के बावजूद गोल्ड के एक्सचेंज ट्रेडिड फंड्स भी अपने रिजर्व से सोना बेचने में लगे हुए हैं.
दुनियाभर के गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिड फंड्स ने जुलाई के दौरान लगातार तीसरे महीने अपने रिजर्व से सोना बेचा है. इस साल अप्रैल तक दुनियाभर के गोल्ड ईटीएफ्स के पास 3874 टन से ज्यादा गोल्ड रिजर्व था लेकिन जुलाई अंत में रिजर्व घटकर 3,708 टन के करीब बचा है. इसमें करीब 81 टन की बिक्री अकेले जुलाई में हुई है. गोल्ड के ETFs की बिकवाली के बावजूद दुनियाभर के कई केंद्रीय बैंकों ने सोने का भाव घटा हुआ देख अपनी खरीदारी बढ़ा दी है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी जुलाई के दौरान गोल्ड का बड़ा खरीदार बनकर उभरा है. RBI ने जुलाई के दौरान 13.4 टन गोल्ड की खरीद की है और कुल गोल्ड रिजर्व 783.1 टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. सिर्फ केंद्रीय बैंक ही नहीं बल्कि स्पॉट मार्केट में भी सोने की मांग बढ़ी है. गोल्ड के बड़े निर्यातक देश स्विटजरलैंड ने जुलाई के दौरान गोल्ड के सबसे बड़े कंज्यूमर चीन को 80 टन से ज्यादा सोना एक्सपोर्ट किया है और स्विटजरलैंड से चीन को हुआ यह मासिक एक्सपोर्ट 67 महीने में सबसे ज्यादा है.
लेकिन चीन और दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की इस खरीद के बावजूद गोल्ड का भाव बढ़ने के बजाय घट ही रहा है. जानकार इसके लिए डॉलर की मजबूती को वजह मान रहे हैं. ऑगमोंट गोल्ड की रिसर्च हेड रनीशा चेनानी का कहना है कि इस साल मंदी और महंगाई में सुरक्षित निवेश के लिए डॉलर ज्यादा बेहतर विकल्प बनकर उभरा है. जिस वजह से डॉलर में मजबूती आई है और गोल्ड के ETFs भी इसी वजह से गोल्ड बेचकर डॉलर में निवेश बढ़ा रहे हैं.
हालांकि रनीशा का मानना है कि लंबी अवधि में गोल्ड में तेजी आ सकती है और इसी वजह से दुनियाभर के केंद्रीय बैंक उसमें अपनी खरीद बढ़ाने में लगे हैं. गोल्ड के भाव का पुराना ट्रेंड देखें तो दुनियाभर में आर्थिक चुनौती बढ़ने के समय इसका भाव भी बढ़ा है. इस बार भी उम्मीद है कि मंदी और महंगाई की वजह से लंबी अवधि में इसके भाव को सहारा मिले.