मार्च में भारत का गोल्ड इंपोर्ट 471 फीसदी के रिकॉर्ड उछाल के साथ 160 टन पर पहुंच गया है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि गोल्ड की कीमतों में और गिरावट के आसार नहीं हैं. इनका कहना है कि गोल्ड की कीमतों में अगर थोड़ी-बहुत गिरावट आती भी है तो भी इसका गोल्ड के आयात में आई तेजी से कोई लेनादेना नहीं होगा.
गुजरे हफ्ते के अंत में गोल्ड की कीमतें 45,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई थीं. अगस्त 2020 में गोल्ड के दाम 58,360 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई पर पहुंच गए थे. इस लिहाज से तब से अब तक सोने के दाम 12,860 रुपये नीचे आ चुके हैं.
इस साल जनवरी से मार्च तिमाही में सोने का आयात रिकॉर्ड 321 टन रहा है जो कि पिछले साल की इसी अवधि के 124 टन के मुकाबले 159 फीसदी ज्यादा है.
कोलकाता के एक प्रमुख रिटेलर बबलू डे ने कहा, “सोने की कीमतों में हल्की गिरावट आ सकती है. लेकिन, अगर ऐसा होता भी है तो ये कोविड की दूसरी लहर या लॉकडाउन की वजह से होगा, न कि सोने के ज्यादा इंपोर्ट की वजह से.”
MCX के पूर्व ईस्टर्न रीजनल हेड अरिंदम साहा के मुताबिक, “आमतौर पर भारत हर साल 1,000 टन गोल्ड का आयात करता है. ऐसे में अकेले मार्च में हुआ आयात कीमतों को नीचे लाने के लिए नाकाफी होगा. इससे पिछली तिमाहियों में आयात के कम आंकड़ों की वजह महामारी थी. अब सरकार इस अंतर को भरने की कोशिश में है. हालांकि, इंपोर्ट में इजाफे से कीमतों में गिरावट नहीं आएगी.”
कमोडिटी एक्सचेंज के एक अन्य अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि उनकी राय में सोने के दाम 44,000-45,000 रुपये की रेंज में रहेंगे.
अधिकारी ने कहा, “सोने की कीमतें कई फैक्टर्स पर आधारित होती हैं. इनमें महंगाई, ब्याज दरें, करेंसी में उतार-चढ़ाव, दूसरे एसेट्स की कीमतों, अच्छे मॉनसून, सरकारी रिजर्व जैसी चीजें शामिल हैं.” हालांकि, उन्होंने कहा कि सोने के आयात में इजाफे से भारत के ट्रेड डेफिसिट में इजाफा हो सकता है. फरवरी में भारत ने गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी को 12.5 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया था ताकि इसकी रिटेल खरीदारी को बढ़ावा दिया जा सके.