सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड ने निवेशकों ने तो बढि़या रिटर्न पाया ही है, सरकार ने भी इस योजना की बदौलत बड़ी रकम बचाई है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय रिजर्व बैंक ने 44.3 टन के सॉवरन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) बेचे हैं. यह अब तक की सबसे ज्यादा बिक्री है. वहीं, वित्त वर्ष 2024 में SGB की बदौलत सरकार ने इंपोर्ट बिल में 3.26 अरब डॉलर की बचत की. इस प्रकार, सोने के सालाना आयात बिल (Import Bill) में 7 से 8 फीसद की कमी आई है.
और लोकप्रिय बनाई जाए योजना
विशेषज्ञों का कहना है अब सरकार को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को और लोकप्रिय बनाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे सोने के आयात बिल में कमी लाई जा सके. वित्त वर्ष 2024 में अप्रैल से जनवरी के दौरान आयात बिल 37.86 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है. कुल मिलाकर देखा जाए तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्उ कि जरिये 72,275 करोड़ रुपये (9,418 मिलियन डॉलर) का निवेश किया जा चुका है. यह रकम 147 टन सोने की कीमतों के बराबर है.
दाम बढ़ने से मांग में कमी
वित्त वर्ष 2023-2024 की शुरुआती 3 तिमाहियों में करीब 648 टन सोने का आयात किया गया था. बाद में सोने के वैश्विक दाम बढ़ने से मांग कम हो गई थी. वित्त वर्ष 2024 में सोने का आयात करीब 800 टन रहने का अनुमान है. मात्रा के आधार पर SGB आयात में 5.5 फीसद की कमी होगी.
आयात बिल में कमी लाने के पेश की गई योजना
सरकार ने नवंबर 2015 में पहला SGB पेश किया था. सरकारी गोल्ड बॉन्ड से के साथ गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS) भी शुरू की गई थी. हालांकि, यह इतनी सफल नहीं हो पाई है. 2015 से अब तक 147 टन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेचे जा चुके हैं. इसकी तुलना में जीएमएस महज 10 फीसद ही बिके हैं. दोनों योजनाएं सोने के आयात बिल में कमी लाने के लिए पेश की गईं थी.
इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज से आयात बिल में कमी
उम्मीद की जा रही है इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज से सोने के आयात बिल में कमी आ सकती है. इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रीसीप्ट का कारोबार स्पॉट एक्सचेंज में हो सकता है. उम्मीद की जा रही है इससे घरों में पड़े सोने को एक प्रोडक्टिव एसेट में बदलने का एक आदर्श समाधान हो सकता है. जिस तरह फिजिकल शेयरों को डिमैटेरियलाइज्ड शेयरों में बदला जाता है उसी तरह निवेशक घर में पड़े सोने को इलेक्ट्रॉनिक रसीद में बदल सकते हैं.