Tax on Gold: मार्च अंत से अब तक 10 ग्राम सोने की कीमतों में 3200 रुपये तक का उछाल आ चुका है. वहीं कई एक्सपर्ट्स अगले कुछ महीनों में इसके 50 हजारी होने का कयास लगा रहे हैं. कोविड के दौर में अगर आपको जरूरत पड़ी और निवेश किए सोने को आप बेचना चाहते हैं तो आपपर कितना टैक्स लगेगा?
इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक गोल्ड बार, ज्वेलरी, सिक्कों, सोने के बर्तन के रूप में अगर आप सोना बेचते हैं तो उसपर हुए मुनाफे पर टैक्स लगेगा. इसे कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है.
अगर आप डिजिटल रूप में गोल्ड में निवेश रखते हैं तो उसपर भी टैक्स के प्रावधान हैं.
सोना बेचने पर कितना टैक्स लगेगा ये इस आधार पर तय होता है कि आपने गोल्ड किस रूप में खरीदा था. गोल्ड चार तरीके से खरीदे जा सकते हैं – फिजिकल गोल्ड (ज्वेलरी, सिक्के, बार आदि), गोल्ड म्यूचुअल फंड या ETF, RBI द्वारा जारी सोवरेन गोल्ड बॉन्ड और डिजिटल गोल्ड.
Tax on Gold: अक्सर रिटेल निवेशक सोने को सिक्कों या ज्वेलरी के रूप में खरीदते हैं. इस फिजिकल गोल्ड को अगर आप 3 साल के अंदर बेचते हैं तो इसपर हुए मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा.
3 साल से कम अवधि पर सोना बेचने पर हुए मुनाफे को आपकी आय में जोड़ा जाएगा और आपके इनक टैक्स स्लैब के मुताबिक ही उसपर टैक्स देनदारी होगी.
वहीं अगर आप 3 साल के बाद इसे बेचते हैं तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा जिसपर 20 फीसदी का टैक्स लगेगा, इंडेक्सेशन के साथ.
गोल्ड ETF का कॉरपस फिजिकल गोल्ड में ही निवेश होता है ताकि सोने की कीमतों की तेजी का असर इनके भाव पर भी है. वहीं गोल्ड म्यूचुअल फंड का निवेश इन्हीं गोल्ड ETF में होता है.
यही वजह है कि इनमें से रिडेंप्शन या इन्हें बेचने पर भी हुए मुनाफे पर फिजिकल गोल्ड जैसे ही टैक्स लागू हैं. 3 साल से पहले बेचने पर इनकम स्लैब के मुताबिक और इससे ज्यादा होल्ड करने पर इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स.
डिजिटल गोल्ड पर भी टैक्स देनदारी फिजिकल गोल्ड जैसी ही है. ये सोने में निवेश के नए विकल्प हैं जो कई बैंक, फिनटेक और ब्रोकरेज कंपनियां अपने ऐप्स के जरिए बेच रही हैं.
सोने में निवेश का बेहतरीन तरीका माना जाने वाला ये विकल्प RBI की ओर से जारी किया जाता है. सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में 8 साल का लॉक-इन रहता है. मैच्योरिटी पर इसपर कोई टैक्स नहीं लगता. लेकिन इस बॉन्ड से सालाना मिलने वाले 2.5 फीसदी के ब्याज को आपकी आय में जोड़ा जाएगा और इनकम स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा.
वहीं इनमें से 5वें साल से एक्जिट का विकल्प भी रहता है.
अगर आप इस बॉन्ड को 5 साल की अवधि से पहले सेकेंड्री मार्केट में बेचते हैं तो इसपर फिजिकल गोल्ड जैसे ही टैक्स लगेंगे.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।