Gold Hallmarking: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 15 जून 2021 से गोल्ड ज्वैलरी के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने जा रही है. लेकिन, ज्वैलर्स एसोशिएशंस ने इस बारे में इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी दिक्कतों से जुड़े हुए कुछ सवाल उठाए हैं. इन एसोसिएशंस का कहना है कि भारत के ज्यादातर जिलों में कोई हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है.
ज्वैलर्स के संगठनों ने सरकार से कहा है कि देश के केवल एक-तिहाई जिलों में ही BIS ऑथराइज्ड हॉलमार्किंग सेंटर हैं.
हॉलमार्किंग सेंटरों की कम संख्या
स्वर्म शिल्प बचाओ कमेटी के सेक्रेटरी समर कुमार डे ने कहा, “गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) को लेकर हम सरकार के कदम का स्वागत करते हैं, लेकिन इसे लेकर कई मसले हैं और उन्हें पहले हल किया जाना जरूरी है. देश में ऐसे कई जिले हैं जहां एक भी BIS ऑथराइज्ड हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है.”
सरकार ने कहा है कि गुजरे 5 साल में देश में हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) सेंटरों की संख्या में 25 फीसदी इजाफा हुआ है.
प्योरिटी ग्रेड में विविधता
डे कहते हैं कि देश में हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) सेंटरों की कम संख्या के अलावा अलग-अलग हिस्सों में गोल्ड ज्वैलरी की शुद्धता के ग्रेड में भी विविधता है. वे कहते हैं मिसाल के तौर पर सिक्कम और उत्तरी बंगाल के पहाड़ी इलाकों में 24 कैरेट शुद्ध गोल्ड के गहने ज्वैलर्स बेचते हैं.
दूसरी ओर, बिहार और यूपी के ज्यादातर हिस्से में 20 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी आम है. डे कहते हैं कि हमने ये मसला एक्सपर्ट कमेटी की मीटिंग में उठाया है. वे कहते हैं, “हमें उम्मीद है कि सरकार नए नियम को लागू करने से पहले इन मसलों पर गौर करेगी.”
हॉलमार्किंग से तय होगी शुद्धता
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, अनिवार्य गोल्ड ज्वैलरी से गहनों की शुद्धता सुनिश्चित होगी. साथ ही लोगों को घटिया गोल्ड ज्वैलरी से भी निजात मिलेगी.
नए नियमों के तहत ज्वैलर्स को केवल 14, 18 और 22 कैरेट की ज्वैलरी बेचने की आजादी होगी.
ऐसा आमतौर पर माना जाता है कि अभी तक कोई हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) का नियम न होने के चलते ज्वैलर्स आम लोगों को निचले दर्जे की ज्वैलरी बेच देते हैं.
कैसा है मार्केट
गैर-हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी मोटे तौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में बेची जाती है. हालिया आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल 75 फीसदी गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग होती है.
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के डायरेक्टर जनरल प्रमोद तिवारी की अगुवाई में एक कमेटी बनाई गई है ताकि अनिवार्य हॉलमार्किंग के नियम को बिना किसी दिक्कत के लागू किया जा सके.
अप्रैल 2000 से ही BIS गोल्ड ज्वैलरी के लिए हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) प्रोग्राम चला रहा है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।