गोल्ड (Gold) की खरीदारी हमेशा से ही लोगों की पसंदीदा रही है. यहां तक की अनिश्चित वक्त में भी लोग गोल्ड (Gold) में निवेश करना पसंद करते हैं. इसकी वजह है कि गोल्ड (Gold) को सबसे पुराना और सुरक्षित एसेट माना जाता है.
इसी वजह से इसकी कीमतें हमेशा बढ़ती रहती हैं. राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल के दौरान निवेशक बचाव के रूप में गोल्ड की ओर ही अपना रुख करते हैं.
2007 की शुरुआत से 2011 तक सोने की कीमत 3 गुना हो गई. गोल्ड (Gold) में पिछले साल भी तेजी देखी गई थी. सोना अगस्त 2020 में 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गया था. इसने अधिकांश एसेट क्लास को पीछे छोड़ दिया था. अब वर्ष 2021 के पहले तीन महीनों में सुधार के बाद सोने की कीमतों में एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) द्वारा 2019 तक उपलब्ध अनुमान बताते हैं कि अभी तक करीब 197,576 टन सोने का खनन किया गया है, जिसमें से दो-तिहाई सोने का खनन 1950 के बाद से किया गया है.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने (Gold) का उपभोक्ता है और 2019 से WGC (वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल) के अनुमान के अनुसार, भारतीय परिवारों के पास दुनिया का सबसे बड़ा निजी सोना है, जिसकी कीमत लगभग 25,000 टन है. आज के हिसाब से इसकी कीमत करीब 110 लाख करोड़ रुपये है.
महामारी के चलते ऊंची कीमतों के कारण 2020 में सोने (Gold) की मांग 35% गिरकर 446.4 टन रह गई. इस दौरान देश में सोने के आभूषणों की कुल मांग भी 2019 में 544.6 टन की तुलना में 315.9 टन पर 42% कम रही थी.
कई विशेषज्ञ सोने (Gold) की मांग दोबारा तेज होने की उम्मीद लगा रहे हैं. एंजेल ब्रोकिंग में एवीपी – अनुसंधान, कमोडिटीज और करेंसी प्रथमेश माल्या के मुताबिक, “डॉलर के कमजोर होने के साथ मुद्रास्फीति का डर और एशिया में बढ़ते कोविड के मामले सोने की कीमतों पर असर डाल रहे हैं. महामारी अभी तक खत्म नहीं हुई है. अभी दुनिया के अधिकांश देश कोरोना वायरस की तीसरी लहर की चपेट में हैं. इससे विकास पर असर हुआ है. केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में सामान्य स्थिति वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं.”
आनंद राठी प्राइवेट वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज विशेषज्ञों की सोने की मांग और दाम में दोबारा तेजी आने की बात से सहमत नहीं हैं. उनके मुताबिक, दुनिया के शीर्ष -10 देशों में से सात (उनके टन में सोने के भंडार के अनुसार) ने पिछले पांच वर्षों में अपने भंडार में गोल्ड को नहीं जोड़ा है और आने वाले समय में इसके अधिक जोड़ने की संभावना भी नहीं है. इसे देखते हुए आने वाले समय में गोल्ड की मांग में तेजी की उम्मीद नहीं है. वहीं इसके भविष्य में अच्छा रिटर्न देने की संभावना भी नहीं है.
पिछले दशक में भारत की औसत वार्षिक सोने की मांग 800 टन से अधिक रही है, जिसका कारण देश के अतुलनीय पारंपरिक मूल्य के साथ कीमती धातु के प्रति लोगों का इंटरेस्ट है. भारतीय त्योहारों और सभी तरह के उत्सवों पर सोना खरीदना पसंद करते हैं. गोल्ड में लोगों के पसंदीदा चीजें आभूषण, सिक्के आदि हैं.
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद एक हालिया रुझान बताता है कि देश में गोल्ड ईटीएफ फोलियो मई 2020 में 599,931 से ढाई गुना बढ़कर अप्रैल 2021 में 1,513,531 हो गया है.
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) के लिए, मार्च के अंत तक इस योजना के माध्यम से कुल 25,702 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं. इसमें से, RBI ने वित्त वर्ष 21 में 16,049 करोड़ रुपये (32.35 टन) की कुल राशि के लिए 12 किस्तों के बांड जारी किए हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान कई व्यवसाय बंद हो गए. वहीं कई लोगों की नौकरियां चली गईं, वेतन कम हो गया. इसी के चलते देश में कई लोगों को अपने जरूरी खर्चों के साथ-साथ आपातकालीन चिकित्सा को पूरा करने के लिए उधार लेना पड़ रहा है. इसके लिए लोग सोने को गिरवी रखने को मजबूर हो रहे हैं.
आरबीआई के मुताबिक, मार्च 2020 के बाद से सोने के बदले कर्ज में 82 फीसदी की तेजी आई है. यह दर्शाता है कि महामारी से प्रभावित लोग अपने खर्च को कैसे प्राथमिकता दे रहे हैं.
आंकड़े बताते हैं कि सोने के आभूषणों को गिरवी रखकर लिया गया कर्ज (गोल्ड लोन) मार्च 2020 में 33,303 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2021 में 60,464 करोड़ रुपये हो गए हैं, जिससे वित्तीय संस्थानों के व्यक्तिगत लोन पोर्टफोलियो में 10.02% की वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बढ़ते COVID-19 मामलों के जवाब में देश के विभिन्न क्षेत्रों में नए लॉकडाउन लगाए गए हैं, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास कम हुआ है. इससे दूसरी तिमाही में शादी की मांग पर असर पड़ने की संभावना है.
अनुज गुप्ता के मुताबिक इस साल सोने के साथ चांदी में भी 15% से 20% रिटर्न की उम्मीद है. निवेशकों को निवेश में रिटर्न के लिए लॉन्ग-टर्म के लिए सोना खरीदना चाहिए. उन्होंने कहा कि दीवाली तक सोने के 54,000 रुपये से 55000 रुपये और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2000 डॉलर से 2050 डॉलर के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है.
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