सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (Sovereign Gold Bond) सरकारी प्रतिभूतियां हैं जो सोने के प्रति ग्राम मूल्य पर आधारित हैं. ये फिजिकल गोल्ड होल्ड करने के विकल्प के तौर पर शुरू किया गया था. सोने के बॉन्ड (Gold Bond) की सबसे अच्छी बात यह है कि बाजार की कीमतों के अलावा, निवेशक इस पर 2.5% ब्याज भी कमा सकते हैं. जो निवेश की शुरुआती कीमत पर अर्ध–वार्षिक ब्याज देय है. ये बहुत पुरानी स्कीम नहीं है, इसकी सबसे पहले शुरुआत 2015 में की गई थी. आंकड़ों से जानें तो 19 जनवरी तक लगभग 59 टन सोना SGBs बॉन्ड के जरिए बेचा गया है. सॉवरेन बॉन्ड एक गारंटी है कि SGB सोने का भौतिक समर्थन करता है.
ब्याज की दर
साधारण ब्याज की दर तो सरकार द्वारा 2.50% सालाना तय है. ब्याज अर्धवार्षिक देय है और मैच्योरिटी पर सोने के बाजार मूल्य का भुगतान ब्याज सहित होता है.
जारी करने की कीमत
SGB का इश्यू प्राइस सब्सक्रिप्शन पीरियड के पहले सप्ताह के आखिरी 3 वर्किंग डे के लिए 999 शुद्धता वाले सोने के औसत क्लोजिंग प्राइज पर तय होता है. ये प्राइज इंडिया बुलियन और ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड प्रकाशित करती है. इसमें एक अतिरिक्त फायदा ये है कि ऑनलाइन खरीदने और डिजिटल पेमेंट करने पर 50 रुपए प्रति ग्राम दाम कम हो जाएंगे.
इन्वेस्टमेंट लिमिट
इन बॉन्ड्स में एक निवेशक अधिकतम 4 किलोग्राम सोने में सालाना निवेश कर सकता है. इसकी न्यूनतम लिमिट एक ग्राम गोल्ड है.
कार्यकाल
बॉन्ड आठ साल के टेन्योर के साथ मिलते हैं. हालांकि, आप ब्याज भुगतान की तारीखों पर 5 वें, 6 वें और 7 वें साल में बाहर निकल सकते हैं. जिन निवेशकों ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पहला इशु खरीदा है, नवंबर 2020 में बाहर निकलने के ऑप्शन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. पहला इशु नवंबर 2015 में 2684 रुपए प्रति ग्राम पर लॉन्च हुआ था.
इशु करने का फॉर्मेट
जब आप SGB में निवेश (Gold Investment) करते हैं, तो आपको सर्टिफिकेट जारी होता है. ये सर्टिफिकेट गोल्ड प्रोसेसिंग (Gold Processing) का प्रमाण होता है. आप डिमेट फॉर्म (Demat Form) में भी अप्लाई कर सकते हैं, जो स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग करने में आपकी मदद करेंगे. ऐसा माना जाता है कि व्यावहारिक रूप से कम लिक्विडिटी के कारण एक्सचेंज पर बांड्स बेचना बहुत मुश्किल है.
लोन में फायदेमंद
SGBs लोन लेने के दौरान जमानत के रूप में भी काम आ सकते हैं.
SGB और टैक्स नियम
सोने को रखने के अन्य सभी तरीकों पर SGB एक फायदा देता है कि मैच्योरिटी होने पर इस पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है. अगर आप खरीद की तारीख से 36 महीनों के अंदर इसे बेचते हैं, तो मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के रूप में टैक्स लगेगा. इस मुनाफे को आपकी कुल कमाई में जोड़ा जाएगा और उसे आधार पर इनकम टैक्स स्लैब लगेगा. एलटीसीजी (LTCG) पर लागू सरचार्ज और सैस के साथ 20% पोस्ट इंडेक्सेशन (Indexation) पर टैक्स लागू होता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (Sovereign Gold Bond) डिजिटल गोल्ड रखने का सबसे बढ़िया तरीका है. लेकिन निवेश से पहले ध्यान रखें कि अगर सोने के बाजार में गिरावट आती है तो पूंजी हानि का जोखिम हो सकता है. हालांकि, भले ही कीमतों में गिरावट आए लेकिन सोने की यूनिट जिसके लिए आपने भुगतान किया था, वह वैसी ही बनी रहती है.
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