देश में मिडिल क्लास की आय में हो रही बढ़ोतरी की वजह से सोने की खपत में इजाफा होने की संभावना है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के क्षेत्रीय इकाई के सीईओ सोमासुंदरम पीआर के मुताबिक भारत को गोल्ड ज्वेलरी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि भारत में मिडिल क्लास पहले के मुकाबले ज्यादा उन्नत हो रहा है.उनका कहना है कि मौजूदा समय में उपभोक्ता अन्य परिसंपत्तियों के साथ सोने के जुड़ाव को लेकर बहुत अच्छी तरह से परिचित नहीं है.
हालांकि बीते एक दशक में कई स्थानीय और वैश्विक घटनाओं की वजह से सोने में निवेशकों का रुझान दिखाई दिया है. विशेषरूप से अनिश्चितता के समय में सोने को लेकर एक अलग दृष्किकोण सामने आया है और सोने की खपत में और बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. साल 2019 और 2023 के बीच 5 में से 4 साल में देश में सोने की कीमतों में मजबूती दर्ज की गई है और इस दौरान भाव में 11-28 फीसद की तेजी देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि भारतीयों के सोने का उपभोग करने के तरीके में कई अहम बदलाव आ रहे हैं.
उनका कहना है कि संगठित क्षेत्र के जरिए सोना खरीदने में लोगों को सहूलियम मिलने की वजह से व्यापार बहुत अधिक संगठित हो गया है और उपभोक्ताओं ने भी हॉलमार्किंग को बड़े पैमाने पर अपनाया है. उपभोक्ता सोने को गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के रूप में खरीदारी करने के लिए तैयार हैं. हालांकि यह सोने की कुल खपत का एक छोटा सा हिस्सा है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स के आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में गोल्ड ईटीएफ में निवेश सालाना आधार पर 6 गुना बढ़कर करीब 3,000 करोड़ रुपए हो गया है.