अगर आप फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं तो सरकार की ये स्कीम आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है. ऐसे उद्यमियों के लिए सरकार की PM FME स्कीम कारगर साबित हो सकती है. मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज (MoFPI) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर इस स्कीम को उतारा है. इस स्कीम का नाम पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज स्कीम (PM FME स्कीम) रखा गया है. सरकार को उम्मीद है कि इस स्कीम के जरिए 35,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 9 लाख स्किल्ड या सेमी-स्किल्ड जॉब्स पैदा होंगे. साथ ही इस स्कीम से 8 लाख यूनिट्स को फायदा होने की भी उम्मीद है. सरकारी अनुमान के मुताबिक, असंगठित फूड प्रोसेसिंग सेगमेंट में करीब 25 लाख इकाइयां मौजूद हैं और इनसे इस सेक्टर के 74 फीसदी रोजगार आते हैं. इनमें से 66 फीसदी इकाइयां ग्रामीण इलाकों में मौजूद हैं और करीब 80 फीसदी यूनिट्स परिवारों द्वारा चलाई जा रही हैं. ऐसे में ये स्कीम ऐसे बेहद छोटे उद्यमियों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है. इस स्कीम के तहत आम, आलू, लीची, टमाटर, साबूदाना, किन्नू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, मोटे अनाज आधारित उत्पादों, मत्स्य, पोल्ट्री, मांस और पशुचारा जैसे क्षेत्रों में काम किया जा सकता है. इसके अलावा, इस स्कीम से एक जिला-एक उत्पाद के तौर पर उत्पादों की मार्केटिंग में भी फायदा मिलेगा.
PM FME के तहत 2020-21 से 2024-25 तक 5 वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा. खर्च के लिहाज से इसमें केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 का अनुपात रहेगा, यानी 60 फीसदी पैसा केंद्र खर्च करेगा, जबकि 40 फीसदी रकम राज्य सरकारें देंगी.
कैसे मिल सकता है फायदा? जो लोग अपनी इकाइयों को अपग्रेड करना चाहते हैं वे अपनी लागत का 35 फीसदी हिस्सा क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के तौर पर हासिल कर सकते हैं. इसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये प्रति यूनिट है. इस स्कीम के तहत अगर आप स्वयं सहायता समूह चला रहे हैं तो आपको 40,000 रुपये की शुरुआती पूंजी सरकार की तरफ से मिल सकती है. इसमें सामान्य प्रोसेसिंग सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग और इनक्यूबेशन केंद्र समेत इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 35 फीसदी की दर से क्रेडिट लिंक्ड अनुदान मिलता है. यही नहीं, सरकार आपको ब्रैंडिंग और मार्केटिंग के लिए भी कुल खर्च का 50 फीसदी तक पैसा इस स्कीम के तहत दे रही है.
ऐसे करें आवेदन इस स्कीम के तहत सहायता हासिल करने के लिए मौजूदा फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स FME पोर्टल पर आवेदन कर सकती हैं. इसके अलावा जिला रिसोर्स पर्सन डीपीआर तैयार कराने, बैंक से लोन लेने, पंजीकरण कराने और FSSAI के मानकों को पूरा करने जैसे कामों में मदद देंगे. FPO/स्वयं सहायता समूह अपने डीपीआर समेत आवेदन राज्य नोडल एजेंसी को भेज सकते हैं. सरकार दी जाने वाली रकम सीधे लाभार्थी के खाते में देती है. यदि कर्ज की आखिरी किस्त दिए जाने के 3 साल बाद लाभार्थी नियमित तौर पर लोन और ब्याज चुका रहा है और उद्यम सही तरह से काम कर रहा है तो यह रकम लाभार्थी के खाते में एडजस्ट कर दी जाएगी. लोन पर अनुदान की रकम के लिए बैंक कोई ब्याज नहीं लेगा.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।