पेटीएम पेमेंट बैंक पर आरबीआई की सख्ती के बाद अब फिनटेक कंपनियों की परेशानी बढ़ गई है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक के ऊपर की गई कार्रवाई से डरी फिनटेक कंपनियां अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक करने जा रही है. 26 फरवरी को होने वाली इस बैठक में वित्त मंत्री के साथ फिनटेक कंपनियों के प्रमुखों शामिल होंगे. दूसरी तरफ, सरकार भी फिनटेक कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए इस बैठक को प्राथमिकता दे रही है.
26 फरवरी को होगी बैठक
ईटी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ फिनटेक कंपनियों की यह बैठक 26 फरवरी को होने वाली है. बैठक में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर समेत विभिन्न मंत्रालयों के कई बड़े अधिकारी जो इस मामले से जुड़े हैं,वो भी शामिल होंगे. बैठक में कई फिनटेक कंपनियों के टॉप एक्जीक्यूटिव्स शामिल होंगे. वहीं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय व उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के शीर्ष अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहेंगे. दरअसल, ये बैठक पेटीएम के ऊपर की गई कार्रवाई के मद्देनजर हो रही है. सरकार फिनटेक कंपनियों की लापरवाही पर शिकंजा कसना चाहती है.
फिनटेक कंपनियों में खौफ!
गौरतलब है कि जबसे आरबीआई ने पेटीएम पर शिकंजा कसा है तबसे फिनटेक कंपनियां चिंतित है. लगातार ये खबरें चल रही हैं कि पेटीएम के बाद कुछ और भी कंपनियां आरबीआई की रडार पर हैं. हालांकि अब तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन फिनटेक कंपनियों में डर जरुर बैठ गया है. ऐसे में फिनटेक कंपनियों ने वित्त मंत्री के साथ बैठक करने जा रही है. इस बैठक के जरिए सरकार फिनटेक के डर को दूर करना चाहती है और उन्हें भरोसा दिलाना चाहती है कि फिनटेक सेक्टर अभी भी सरकार प्राथमिकता में शामिल है.
पेटीएम पर क्या कहा आरबीआई ने?
पेटीएम का भारत में मजबूत बाजार रहा है. फिनटेक में पेटीएम लीड कर रही थी. भारत में कैशलेस को इसने नया आयाम दिया. लेकिन आरबीआई ने कई वजहों के चलते इस पर सख्ती दिखाई है. रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी को पेटीएम के ऊपर सख्त कार्रवाई की. आरबीआई ने पेटीएम की बैंकिंग सर्विसेज, वॉलेट, फास्टैग जैसी सुविधाओं को बैन कर दिया. रिजर्व बैंक ने बताया है कि यह कार्रवाई केवाईसी से संबंधित गड़बड़ियों के कारण की गई है. आरबीआई का कहना है कि पिछले कुछ सालों से लगातार पेटीएम को नोटिस दी जा रही थी लेकिन कंपनी लगातार केंद्रीय बैंक के नियमों को अनदेखा कर रही थी . पेटीएम को सुधार करने के लिए पर्याप्त समय और मौका दिया गया, लेकिन उसमें सुधार को न देखते हुए आरबीआई को यह एक्शन लेना पड़ा.