देश के ऐसे पिछड़े जिले जो विकास यात्रा में किसी कारण से पीछे छूट गए थे, अब वे शिक्षा (Education) के क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं. मेघालय से लेकर महाराष्ट्र तक और छत्तीसगढ़ से लेकर असम तक के इन पांच आकांक्षी जिलों ने बेहतर शिक्षा (Education) व्यवस्था सुनिश्चित की है. नीति आयोग ने विभिन्न मानकों पर डेल्टा रैंकिंग जारी की, जिनमें शिक्षा के क्षेत्र में पांच राज्यों के इन जिलों ने स्थान बनाया है. इनमें मेघालय का रिभोई जिला पहले स्थान पर, महाराष्ट्र का नंदुरबार दूसरे, छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा और बस्तर जिला क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर है। वहीं, असम के बक्सा जिले को पांचवा स्थान दिया गया है.
शिक्षा क्षेत्र में इन मानकों पर जारी होती है डेल्टा रैंकिंग शिक्षा (Education) के क्षेत्र में नीति आयोग द्वारा जारी डेल्टा रैंकिंग के लिए आकांक्षी जिलों का 08 मानकों पर मूल्यांकन किया जाता है. इनमें प्राथमिक स्कूल से विद्यार्थियों की उच्च प्राथमिक स्कूल और उसके बाद माध्यमिक कक्षा में प्रवेश की दर, गणित एवं भाषा विषय में औसत अंक, विद्यालय की अवसंरचना जिसमें बालिकाओं के लिये शौचालय, पेयजल तथा स्कूल में बिजली की आपूर्ति आदि को शामिल किया जाता है. इसके अतिरिक्त अन्य मानक जैसे-छात्र-शिक्षक अनुपात, समय-समय पर पुस्तकों का वितरण भी इसमें शामिल है. इन सभी मानकों पर जो जिले बेहतर प्रदर्शन करते हैं, उन्हें नीति आयोग द्वारा शीर्ष पांच जिलों में स्थान मिलता है.
डेल्टा रैंकिंग से होता है जिलों का मूल्यांकन देश भर के आकांक्षी जिलों की प्रगति कैसी है, इसका मूल्यांकन डेल्टा रैंकिंग से होता है. यह रैंकिंग आकांक्षी जिलों में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास तथा बुनियादी अवसंरचना जैसे विकासात्मक क्षेत्रों की प्रगति दर्शाती है.
वर्ष 2018 में शुरू हुआ था आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इसका उद्देश्य देश के सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों की पहचान कर उनके समग्र विकास में सहायता करना है. राज्य इस कार्यक्रम के प्रमुख परिचालक हैं और केंद्र की ओर से नीति आयोग द्वारा इसका संचालन किया जाता है. इसके अलावा कई मंत्रालय भी योजना के कार्यान्वयन में योगदान दे रहे हैं. यह कार्यक्रम मुख्यतः पांच विषयों स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेश एवं कौशल विकास और बुनियादी आधारभूत ढांचे पर केंद्रित है.
क्या कहते हैं अधिकारी महाराष्ट्र के नंदूरबार के जिला सूचना अधिकारी किरण मोघे और छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कर्मा ने जिलों को अच्छी रैंकिंग मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की. अधिकारियों ने कहा कि हमने बेहतर करने का प्रयास किया और आगे भी करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इसका श्रेय यहां के शिक्षकों को जाता है, जिन्होंने मोहल्ला क्लास जैसे अभियान को सफल बनाने में कड़ी मेहनत की. किरण मोघे ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भी हमारे जिले के शिक्षक 15 से 20 किलोमीटर दूर जाकर बच्चों को पढ़ाने का कार्य करते रहे. जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं थी, वहां पेन ड्राइव में पाठ्य सामग्री ले जाकर बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया.
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