Infra Bonds: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं किए लेकिन टैक्स से जुड़े ऐसे कई ऐलान किए जिसे एक्सपर्ट्स ने सराहा लेकिन आम निवेशक सिर खुजलाता रह गया कि ये है क्या. ऐसा ही ऐलान है जीरो कूपन इंफ्रा बॉन्ड (Zero Coupon Infra Bonds) जिससे टैक्स बचेगा.
जीरो कूपन बॉन्ड का मतलब क्या?
जीरो कूपन समझने के लिए पहले जानना जरूरी है कि कूपन बॉन्ड क्या होता है और बॉन्ड कैसे काम करते हैं.
कंपनियां को अपने एक्सपैंशन या किसी अन्य खर्च के लिए कैपिटल जुटानी होता है. इसके लिए वे बॉन्ड जारी कर निवेशकों से पैसे जुटाती हैं. बॉन्ड ये प्रमाण है कि आपने कंपनी को पैसे दिए हैं. इसके बदले कंपनी आपको तय अवधि पर पूरे रकम भी चुकाएगी और कुछ ब्याज भी. ये ब्याज ही कूपन है. बॉन्ड जारी करने पर कंपनी फेस वैल्यू और कूपन तय करती है. मान लीजिए कंपनी ने 10 साल के लिए 100 रुपये का बॉन्ड इश्यू किया और 5% कूपन तय किया. अब कंपनी आपको हर साल 5 रुपये का कूपन अदा करेगी और 10 साल बाद आपके पूरे 100 रुपये लौटा देगी.
वहीं जीरो कूपन बॉन्ड में कंपनी मैच्योरिटी तक कोई ब्याज या कूपन नहीं देगी. लेकिन अगर आपके पास 100 रुपये हैं तो 10 साल बाद भी सिर्फ 100 रुपये वापस नहीं लेना चाहेंगे. निवेश में टाइम की अलग वैल्यू है. निवेश को जितना टाइम दिया जाता है पैसों की वैल्यू उतनी बढ़ती है. इसलिए कंपनी आपको ये बॉन्ड उसकी असल कीमत से सस्ते भाव पर देगी और अवधि के अंत पर मुनाफे के साथ पैसे वापस करेगी. अगर बॉन्ड की फेस वैल्यू 100 रुपये है तो संभव है कि आपको 60 या 70 रुपये ही देने हों और मैच्योरिटी पर आपको 100 रुपये मिलें. यानि जीरो कूपन बॉन्ड बड़े डिस्काउंट पर ट्रेड होते हैं. मैच्योरिटी पर मुनाफे के साथ बॉन्ड की असली फेस वैल्यू पर पैसे वापस मिलते हैं.
यूं समझें तो फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे लेकिन किसी बैंक में नहीं बल्कि कंपनी के पास. इन जीरो कूपन बॉन्ड्स को आप मैच्योरिटी से पहले बेच भी सकते हैं हालांकि इसपर कितना भाव मिलेगा ये उस समय के ब्याज दरों पर निर्भर करेगा. बॉन्ड की मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन पर ही टैक्स लगता है.
वित्त मंत्री ने क्या कहा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में इंफ्रास्ट्रक्चर को फंडिंग मुहैया कराने के लिए टैक्स किफायती जीरो कूपन बॉन्ड (Zero Coupon Infra Bonds) जारी करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड का प्रस्ताव पेश किया. ये जीरो कूपन बॉन्ड इंफ्रा से जुड़ी कंपनियों के लिए होंगे.
बजट 2021 में उन्होंने इंफ्रा के लिए बड़े केपिटल एक्सपेंडिचर का ऐलान किया है. वहीं कुछ कानूनो में बदलाव के बाद InVITs और REITs में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) यानि निवेशक भी निवेश कर पाएंगे जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर्स को बूस्ट मिलेगा.
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