Debt Investments: बजट 2021 ने कॉरपोरेट इंडिया को बहुत खुश किया है, उन्होंने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के ऐलानों को ना सिर्फ बोल्ड बताया बल्कि इकोनॉमी (Economy) को रफ्तार देने वाला बजट भी घोषित कर दिया है. शेयर बाजार (Stock Market) भी रिकॉर्ड ऊंचाई के साथ बजट को सलामी दे रहा है. इन सब से बावजूद डेट कैटेगरी (Debt Investments) के निवेशकों को चिंता जरूर है. इस चिंता की जड़ है FY21 में वित्तीय घाटे का GDP का 9.5 फीसदी रहने का अनुमान. वहीं वित्त वर्ष 2021-2022 में फिस्कल डेफिसिट 6.8 परसेंट रहने का अनुमान है.
और तो और सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 12 लाख करोड़ रुपये की उधारी का प्लान तैयार किया है. इन सब से यील्ड (Yield) बढ़ी है और डेट मार्केट में माहौल निगेटिव है.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर पंकज माल्दे के मुताबिक अगर लंबी अवधि के कमर्शियल पेपर में आपका निवेश है तो इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी से आपको नुकसान हो सकता है. वहीं बॉन्ड मार्केट में भी सेंटिमेंट निगेटिव ही है और लंबी अवधि के डेट फंड्स से निकासी देखने को मिली है. उनका कहना है कि वीत्तीय घाटे और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए फिलहाल लंबी अवधि के डेट निवेश से बचना चाहिए.
छोटी अवधि के निवेश के लिए इक्विटी फंड्स में जोखिम ज्यादा होता है इसलिए अक्सर निवेशक 3-4 साल के लिए डेट विकल्प (Debt Investments) चुनना पसंद करते थे. क्या अब उन्हें अपने ऐसेट एलोकेशन में बदलाव करना चाहिए? पंकज माल्दे के मुताबिक इसकी जरूरत नहीं क्योंकि आपका ऐसेट एलोकेशन निवेश की अवधि और आपकी जोखिम क्षमता पर निर्भर करता है. अगर आप लंबे समय तक निवेश बनाए रख सकते हैं तो इक्विटी में 90 फीसदी निवेश कर सकते हैं.
उनका कहना है कि फिलहाल दो वजह से डेट मार्केट में निवेश से दूरी बनानी चाहिए – पहला तो यील्ड आगे भी बढ़ सकते हैं वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है. साथ ही लोन मोरेटोरियम खत्म होने पर क्रेडिट रिस्क पर और सफाई आएगी.
एक्सपर्टस का सुझाव है कि फिलहाल निवेशक लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड चुन सकते हैं.
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