संसद में बजट सत्र शुरू हो चुका है और इस बार बिटकॉइन (Bitcoin), एथर, रिपल जैसी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर संकट आता दिख रहा है. सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को भारत में बैन करने के लिए सरकार ने लोक सभी में बिल लिस्ट किया है. इसके साथ ही बिल के तहत एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी (Digital Currency) के लिए फ्रेमवर्क बनाने का भी प्रावधान है. पेमेंट सिस्टम पर 25 जनवरी को रिजर्व बैंक के जारी किए बुकलेट में भी इस बात के संकेत थे कि RBI रुपये के डिजिटल वर्जन इश्यू करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है.
रिजर्व बैंक के बुकलेट में कहा गया है कि हाल के सालों में प्राइवेट डिजिटल करेंसी का प्रचलन बढ़ा है, भारत में रेगुलेटर और सरकार इन करेंसी और इनसे जुड़े रिस्क को लेकर चिंता रही है. RBI मंथन में लगी है कि अगर डिजिटल करेंसी (Digital Currency) के ऑपरेशन का रास्ता साफ हो जाता है तो क्या भारत में रुपये के डिजिटल वर्जन की जरूरत है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन से जुड़ी कई खामियां उभरी हैं। दरअसल रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी के लिए बैंकों के जरिए पेमेंट पर बैन लगाया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में खारिज कर दिया.
वहीं 2019 में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) बैन करने और इसे कानून जुर्म बनाने के लिए बिल पेश किया था. हालांकि इस बिल को संसद में पेश नहीं किया गया था. संसद के ऑर्डर ऑफ बिजनेस में लिस्ट किए क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने और इसके इस्तेमाल को मंजूरी दी जाएगी. पिछले साल क्रिप्टोकरेंसी नविशेकों की संख्या के साथ ही ट्रेडिंग वॉल्यूम में भी बड़ा उछाल देखने को मिला है. कॉइनडीसीएक्स (CoinDCX) और कॉइनस्विच कुबेर (Coinswitch Kuber) जैसे क्रोप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को ऑपरेशंस के लिए शुरुआती दौर की फंडिंग भी मिली है. फिलहाल बिल की पूरी जानकारी हासिल नहीं है लेकिन इस कमद से भारत में उभर रहे क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) इंडस्ट्री पर अंकुश लग सकता है.