Cryptocurrency: एक तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी पर साफ किया है कि सभी क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से बैन नहीं लगाया जाएगा तो वहीं रिजर्व बैंक ने वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन को बैन करने की बात कही है. हालांकि सरकार की ओर से डिजिटल रुपये (Digital Rupee) का प्रस्ताव है, यानि रुपये का ही डिजिटल रूप जिसके लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन साइबर सिक्योरिटी के मामले में भारत सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) यानि डिजिटल रुपये के लिए कितना तैयार है?
साइबर कानून के एक्सपर्ट और वकील पवन दुग्गल का मानना है कि भारत में इसके लिए कानून और टेक्नोलॉजी को साथ-साथ चलना होगा. हालांकि वे मानते हैं कि आम तौर टेक्नोलॉजी हमेशा कानून से आगे और ज्यादा तेजी से चलता है लेकिन डिजिटल करेंसी के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और कानून को मजबूत करना होगा.
कोविड-19 महामारी के दौर में साइबर क्राइम का ‘गोल्डन एज’ (Golden Age) चल रहा है और भारत में जामतारा जैसे कई इलाके साइबर क्राइम को कॉटेज इंडस्ट्री के रूप में देख रहे हैं. साइबर क्राइम से सुरक्षा के लिए कानून और टेक्नोलॉजी दोनों को मजबूत होना होगा. विदेश के केंद्रीय बैंक भी डिजिटल करेंसी (Digital Currency) अपनाने की तैयारी में हैं. विवेक दुग्गल के मुताबिक डिजिटल करेंसी से डिजिटल पेमेंट आसान होंगे लेकिन ऐसा होने के लिए कानूनी फ्रेमवर्क का सपोर्ट मिलना जरूरी है. डिजिटस करेंसी को लागू करने में कई चुनौतियां हैं लेकिन इसके लिए सरकार को कानूनी होमवर्क करना होगा.
उनका कहना है कि साइबर क्रिमिनल्स की नजर इसपर जरूर है और ऐसे में लोगों का डिजिटल करेंसी (Digital Currency) पर विश्वास बनना जरूरी है. हर देश का डिजिटल करेंसी पर दृष्टिकोण अलग है, इस वजह से इस करेंसी को अन्य देशों के साथ कैसे साझा या देश के बाहर कैसे इस्तेमाल किया जाएगा ये समझना होगा.
विवेक दुग्गल के साथ टीना जैन कौशल की पूरी चर्चा यहां देखें –