Vaccine Supply: वैक्सीनेशन के तीसरे चरण की शुरुआत पर शोर बहुत हुआ लेकिन रफ्तार सुस्त रही. आधिकारिक तौर पर 1 मई से शुरू हुए तीसरे चरण के वैक्सीनेशन में अब तक 18-44 वर्ष के बीच के कुल 42,58,756 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है. यानि पिछले 14 दिनों का हिसाब लें, तो एक दिन में 18-44 वर्ष के बीच के तकरीबन 3.04 लाख लोगों को ही वैक्सीन लगाई गई है.
इनमें से उत्तर प्रदेश में 3,66,239, राजस्थान में 6,14,253, महाराष्ट्र में 6,40,922, दिल्ली में 5,26,232, गुजरात में 4,50,980 और बिहार में 5,08,034 को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है. ये वो राज्य हैं जहां अब कोरोना के मामलों में कमी आ रही है.
लेकिन जिन राज्यों में अब कोरोना के दैनिक मामलों में तेजी आ रही है वहां 18-44 वर्ष के लोगों के बीच वैक्सीनेशन सुस्त रहा है. तीसरे चरण के वैक्सीनेशन का एक पखवाड़ा बीतने के बावजूद पश्चिम बंगाल में सिर्फ 23 हजार के करीब वैक्सीन डोज लगाई गई जबकि केरल में ये आंकड़ा सिर्फ 1,364 और तेलंगाना में सिर्फ 500. कर्नाटक में 18-44 वर्ष के 1.08 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई है.
इस सुस्ती के पीछे वजह ये है कि राज्यों को इस वर्ग के टीकाकरण के लिए वैक्सीन उत्पादकों से सीधे वैक्सीन खरीदने को कहा गया है. वैक्सीन उत्पादक अब 50 फीसदी सप्लाई केंद्र को 150 रुपये प्रति डोज के भाव पर दे रहे हैं जबकि बाकी 50 फीसदी में से प्राइवेट अस्पतालों और राज्यों को सीधे बिक्री की जा रही है. राज्यों के लिए कोविशील्ड की कीमत है 300 रुपये और कोवैक्सीन की 400 रुपये प्रति डोज.
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और दिल्ली जैसे कई राज्यों ने वैक्सीन उत्पादकों से आपूर्ति ना होने की वजह से अब ग्लोबल टेंडर लाने की तैयारी की है.
हालांकि भारत बायोटेक ने सफाई देते हुए जानकारी दी है कि उन्होंने 18 राज्यों को कोवैक्सीन की सप्लाई की है.
इस हफ्ते 9 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडैविट के जरिए बयान दिया है कि मई अंत तक वैक्सीन उत्पादकों से उनका कोटा मिलने की उम्मीद नहीं है.
इसमें पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, नागालैंड और मणिपुर शामिल हैं. इन राज्यों ने कहा है कि दोनों वैक्सीन उत्पादकों ने या तो तय समय पर सप्लाई ना कर पाने में असमर्थता जताई है या फिर अगले 2 से 3 महीनों में चरण बद्ध तरीकों से वैक्सीन डिलिवर करने का आश्वासन दिया है.
वहीं, इस एफिडैविट के जरिए पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल ने वैक्सीन की कीमतों को लेर सवाल किया है.
देश भर में कर्नाटक से सबसे ज्यादा मामले आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अपडेट के मुताबिक कर्नाटक में 41 हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आए हैं जो महाराष्ट्र से भी ज्यादा है.
राज्य के उप-मुख्यमंत्री सी एन अश्वनाथ नारायण के मुताबिक कर्नाटक ने वैक्सीन उत्पादकों को 3 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है जिसमें से उन्हें अब तक सिर्फ 7 लाख वैक्सीन ही मिली है – यानी सिर्फ 2 फीसदी.
उन्होंने बताया है कि कर्नाटक के कोलार जिले में भारत बायोटेक का कोवैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया जा रहा है. नारायण ने बताया कि इस प्लांट का कंस्ट्रक्शन शुरू हो चुका है और सरकार ने निवेशको को भी आमंत्रित किया है.
वहीं झारखंड ने 50 लाख वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया है. राज्य में 14 मई से ही 18-44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत हो पाई है. राज्य में वैक्सीनेशन की कमी की वजह से ये देरी हुई है. सरकार ने 6.48 लाख वैक्सीन डोज के स्टॉक के साथ ही ड्राइव की शुरुआत की है. जानकारी के मुताबिक, 18-44 वर्ष के 30 लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है.
भारत बायोटेक से कोवैक्सीन की आपूर्ति पर नकारात्मक जवाब के बाद दिल्ली सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन सप्लाई करने की गुहार लगाई है.
मई की शुरुआत में मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि राज्य को 4.76 करोड़ कोविशील्ड की खुराक मिलने की उम्मीद है और 52 लाख कोवैक्सीन की.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है उन्हें अदार पूनावाला की ओर से भरोसा दिया गया है कि 20 मई के बाद से राज्य को हर महीने डेढ़ करोड़ वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी. हालांकि, फिलहाल राज्य में 18-44 वर्ष के लोगों के टीकाकरण पर रोक लगाई गई है.
केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि भारत बायोटेक को वित्तीय मदद दी जा रही है ताकि सितंबर 2021 तक कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाकर हर महीने 10 करोड़ डोज तक ले जाया जा सके.
कोवैक्सीन के उत्पादन में मुंबई की हैफकीन बायोफार्मा की मदद ली जाएगी जहां हर महीने 2 करोड़ डोज उत्पादन की क्षमता है. इसके लिए 65 करोड़ रुपये का ग्रांट दिया गया है. वहीं हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स को भी 60 करोड़ रुपये का ग्रांट दिया गया है. साथ ही बुलंदशहर में स्थित भारत इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स लिमिटेड (BIBCOL) को 1-1.5 करोड़ डोज प्रति माह उत्पादन के लिए 30 करोड़ रुपये का ग्रांट दिया जा रहा है.
इसके अलावा गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, हेस्टर बायोसाइंसेस, और OmniBRx ने भी भारत बायोटेक के साथ कोवैक्सीन टेक्नोलॉजी को लेकर चर्चा शुरू की है.
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