भारत में स्पुतनिक-V की बिक्री कर रही फार्मा कंपनी डॉ रेड्डीज लैब को रूस की ही वैक्सीन स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light) के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी नहीं मिली. एजेंसी रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी ने भारतीय ड्रग रेगलुेटर को भारत में स्पुतनिक लाइट के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अर्जी दी थी जिसपर उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. गौरतलब है कि भारत में स्पुतनिक-V के क्लिनिकल ट्रायल का जिम्मा भी डॉ रेड्डीज लैब ने ही उठाया था. अब देश के कई शहरों में ये वैक्सीन दी जा रही है. कंपनी ने इसके लिए अपोलो हॉस्पिटल्स से करार भी किया है.
दरअसल मई महीने की शुरुआत में रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की डेवलेप की वैक्सीन स्पुतनिक-V ने सिर्फ एक डोज वाली वैक्सीन स्पुतनिक लाइट को लॉन्च किया था. स्पुतनिक लाइट को कंपनी ने कोरोना मामलों में 80 फीसदी कारगर बताया है. अब तक स्पुतनिक-V की दो डोज दी जाती है. स्पुतनिक लाइट को रूस में इस्तेमाल की मंजूरी मिली है.
कंपनी की ओर से दिए बयान में बताया गया था कि स्पुतनिक लाइट वैक्सीन ने इंजेक्शन के 28 दिनों बाद 79.4 फीसदी की सफलता दिखाई है. ये ट्रायल रूस में 5 दिसंबर 2020 से 15 अप्रैल 2021 तक किया गया है.
बयान के मुताबिक स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light) कोरोना वायरस के सभी स्ट्रेन या वेरिएंट पर कारगर है और इसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं है. वहीं ट्रायल में जिन्हें वैक्सीन लगाई गई उनमें से 96.9 फीसदी लोगों में इंजेक्शन लगने के 28वें दिन तक एंटिबॉडी बन गई थीं.
इस वैक्सीन की कीमत 10 डॉलर से कम लगाई जा रही है.
स्पुतनिक-V ने कहा है कि स्पुतनित लाइट लंबे समय तक कोरोना के खिलाफ सुरक्षा देती है और बेहतर साबित हुई है. हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि अभी भी स्पुतनिक-V ही उनकी प्रमुख वैक्सीन रहेगी. विश्वभर में अब तक लगभग 2 करोड़ लोगों को स्पुतनिक-V की पहली डोज दी जा चुकी है.
स्पुतनिक-V ने दावा किया है कि एक डोज वाली स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light) कोरोना की रोकथाम में 80 फीसदी सफल पाई गई है. सिर्फ एक डोज होने की वजह से ये ज्यादा लोगों का ज्यादा तेजी से टीकाकरण किया जा सकेगा. एक ओर टीकाकरण पूरा होने के लिए हफ्तों इंतजार नहीं करना होगा तो वहीं प्रति व्यक्ति सिर्फ एक डोज की ही जरूरत होगी जिससे कम वैक्सीन में ज्यादा लोगों का टीकाकरण होगा.
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