भारत में दवा रेगुलेटर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से रूस की वैक्सीन स्पुतनिक V को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है. डॉक्टर रेड्डीज लैब ने इसके लिए CDSCO के एक्सपर्ट पैनल को आवेदन दिया था. भारत 60वां ऐसा देश हैं जहां इस वैक्सीन को मंजूरी मिली है. स्पुतनिक V (Sputnik V) प्रोडक्शन के लिए रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) ने भारत की कई फार्मा कंपनियों के साथ करार किया है. इस संस्था के मुताबिक देश में स्पुतनिक V का सालाना 85 करोड़ डोज का उत्पादन होगा.
85 करोड़ डोज उत्पादन से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इससे साल में 42.5 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो सकता है.
स्पुतनिक V के साथ ही भारत में अब कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 3 वैक्सीन होंगी. इससे पहले कोविशील्ड और कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा रहा था. कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड ने मिलकर डेवलप किया है और सीरम इंस्टीट्यूट इसका उत्पादन कर रहा है. वहीं कोवैक्सीन को स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है.
DCGI ने रूस और भारत में हुए फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल के डाटा के आधार पर वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है. आबादी के हिसाब से भारत इस वैक्सीन को मंजूरी देने वाला सबसे बड़ा देश है. साथ ही इसके प्रोडक्शन में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है.
इससे पहले भारत के अलावा श्रीलंका, बहरीन, मेक्सिको, ईरान, बोलिविया, अर्जेंटीना, हंग्री, पाकिस्तान जैसे देशों में स्पुतनिक V को मंजूरी दी जा चुकी है.
— Sputnik V (@sputnikvaccine) April 12, 2021
क्लिनिकल ट्रायल के डाटा के मुताबिक वैक्सीन 91.6 फीसदी मामलों में सफल रही है. लैंसट मेडिकल जर्नल के मुताबिक वैक्सीन कोरोना के गंभीर मामलों से पूरी तरह सुरक्षा दिलाती है. दुनियाभर में स्पुतनिक को शामिल कर सिर्फ 3 ही ऐसी वैक्सीन हैं जिनकी कारगर क्षमता 90 फीसदी से ज्यादा है. भारत में फिलहाल इस्तेमाल होने वाली कोवैक्सीन 81 फीसदी के करीब कारगर है तो वहीं कोविशील्ड तकरीबन 71 फीसदी (US में पेश किए नए आंकड़ों के मुताबिक).
स्पुतनिक V के भी दो डोज दिए जाते हैं लेकिन इन दोनों डोज में दो अलग-अलग वेक्टर्स का इस्तेमाल होता है. पहले डोज में आम जुखाम का ही एडिनोवायरल वेक्टर इस्तेमाल किया गया है और रिपोर्ट्स की माने तो पहले डोज के बाद वैक्सीन को 85 फीसदी तक कारगर पाया गया है.
RDIF के मुताबिक स्पुतनिक V का कोई साइड-इफेक्ट या एलर्जी जैसा असर नहीं है और वैक्सीन ज्यादा लंबे समय के लिए इम्यूनिटी देती है.
स्पुतनिक V को 2 से 8 डिग्री सेलशियस तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है. मतलब ये कि इसके स्टोरेज के लिए किसी खास लॉजिस्टिक्स की जरूरत नहीं पड़ेगी – पहले से ही इस्तेमाल हो रहे आम रेफ्रिजरेटर काम में लाए जा सकते हैं, किसी नए कोल्ड-चेन इंफ्रा को डेवलप करने की जरूरत नहीं होगी.
इस वैक्सीन की कीमत 10 डॉलर प्रति डोज पड़ती है.
RDIF ने भारत में ग्लैंड फार्मा, हेटरो बायोफार्मा, पैनेसिया बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा और विरकॉ बायोटेक के साथ वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए करार किया है.
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