COVID-19: कोरोना काल में अब गुजरात सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राज्य में रोजाना करीब 14 हजारह केस आ रहे हैं. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी है. इस मुश्किल स्थिति में इंटर्न डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है.
गुजरात इंटर्न डॉक्टर्स एसोसिएशन ने स्टाइपेंड और बाकी के मुद्दे को लेकर सरकार को पत्र लिखा है.
डॉक्टरों ने कहा है की उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वो 2 मई से हड़ताल पर चले जाएंगे. राज्य में इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों की संख्या लगभग तीन हजार के करीब है.
इंटर्न डोक्टरों को स्टाइपेंड देने का नियम
जामनगर सरकारी मेडिकल कॉलेज को दिए आवेदन के मुताबिक, तीन साल में इंटर्न डोक्टरों को स्टाइपेंड देने का नियम है. डॉक्टरों के मुताबिक, वर्ष 2018 के बाद इस साल 2021 में उनको 40 प्रतिशत स्टाइपेंड मिलना चाहिए.
कोविड के समय में इंटर्न डोक्टर अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना लंबे समय से अपनी ड्युटी निभा रहे हैं. इसको ध्यान में रखकर उनका स्टाइपेंड बढाना चाहिए. डोक्टरों का कहना है की उनको 10 दिन की कोविड ड्यूटी के बाद कुछ दिन क्वारंटीन में रहने की मंजूरी दी जाए.
डॉक्टरों ने कहा है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो रविवार सुबह 8 बजे से वो हड़ताल पर चले जाएंगे. उन्होंने अपना आवेदन पत्र गुजरात आरोग्य विभाग को सौंप दिया है.
डॉक्टरों ने कोरोना के मामले आने के बाद शुरू किया था काम
गौरतलब है की मार्च 2020 में कोरोना की एंट्री के साथ, रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना शैक्षणिक कार्य छोड़ दिया था और रोगियों का इलाज करना शुरू कर दिया था.
कुछ समय पहले सरकार ने कोरोना में ड्यूटी निभा रहे सिनियर डोक्टरो को 2.5 लाख और एमबीबीएस डॉक्टर एवं एमडी को 1.25 लाख रुपये देने की बात कही थी. कोरोना अस्पताल में ड्युटी निभा रहे डॉक्टरों में 90% रेजिडेंट डॉक्टर है.
इंटर्न का कहेना है की उनका भी स्टाइपेंड 40 प्रतिशत बढ़ना चाहिए.