कोविड-19 के रोकथाम की लड़ाई में वैक्सीन की सबसे अहम भूमिका है और इसका प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सरकार हरकत में है. भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी पा चुकी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) का उत्पादन बढ़ाने के लिए मुंबई के हाफकिन इंस्टीट्यूट (Haffkine) को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है. कोवैक्सीन को स्वदेशी कंपनी भारत बायटोक ने डेवलप किया है और ये कोरोना संक्रमण रोकने में 81 फीसदी सफल रही है. अब तक इस वैक्सीन का प्रोडक्शन सिर्फ भारत बायोटेक ही करता आया है. मंजूरी के बाद टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो पाएगा.
हाफकिन इंस्टीट्यूट के कोवैक्सीन का उत्पादन करने से ज्यादा तेजी से प्रोडक्शन हो पाएगा. इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र से अनुरोध किया था कि हाफकिन इंस्टीट्यूट को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) का उत्पादन करने की मंजूरी दी जाएगा. मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी ने कहा है कि इस अनुरोध पर केंद्र की सहमति मिल गई है और इसके लिए ठाकरे ने केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया.
मुंबई के परेल में स्थित इस प्लांट के विस्तार के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अपने बजट में 150 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. इस प्लांट के जरिए सालाना 22.4 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन हो सकता है. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से अब यहां उत्पादन संभव होगा. हाफकिन को एक साल के अंदर वैक्सीन मुहैया कराने का लक्ष्य दिया गया है. कोवैक्सीन (Covaxin) को अब तक सिर्फ हैदराबाद में स्थित भारत बायोटेक ही कर रही थी.
कोवैक्सीन कोरोना से बचाव के लिए शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत बनाती है. इसमें इनएक्टिव वायरस को ही इस्तेमाल किया गया है. पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज दिया जाता है. भारत बायोटेक के मुताबिक इस वैक्सीन (Covaxin) को 2 से 8 डिग्री सेलशियस के बीच स्टोर किया जा सकता है. वैक्सीन का लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए जुलाई 2020 में DCGI से मंजूरी मिली थी. फेज 1 में 375 लोगों ने हिस्सा लिया था और फेज 2 में 380 लोग शामिल थे.
ये भी पढ़ें: भारत में एक दिन में कोरोना के रिकॉर्ड 2.17 नए मरीज मिले
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।