गुरुग्राम की MNC में काम करने वाली दीक्षा शेयर बाजार में निवेश करती हैं. वीकेंड में उनको समय मिलता है तो शेयर बाजार के बारे में पढ़ती, सुनती और वीडियोज देखती हैं. पढ़ते-पढ़ते उनका ध्यान बीते कुछ महीनों में हुई ब्लॉक डील्स पर गई. 2023 में अब तक प्रमोटर्स समेत शेयरधारक ब्लॉक और बल्क डील्स के जरिए करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके हैं. शेयर बाजार में दमदार तेजी के चलते प्रमोटर्स समेत निवेशक मुनाफा वसूली कर रहे हैं. पर बाजार में तेजी के बावजूद कुछ कंपनियों के प्रमोटर अपना हिस्सा बढ़ा रहे हैं. कौन सी हैं ये कंपनियां और आपको इन शेयरों में क्या करना चाहिए? आइए समझते हैं.
2023 में अब तक हुई ब्लॉक डील्स में से करीब 95,000 करोड़ रुपए के सौदे तो FY24 के पहले 5 महीनों में ही हुए हैं. यानी अप्रैल से अगस्त 2023 के दौरान. लेकिन दीक्षा की नजर उन कंपनियों पर है जिनके प्रमोटर पिछली कुछ तिमाहियों से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं.
Swastika InvestMart के HoR, Santosh Meena के मुताबिक,”बाजार में ऐसी चर्चा है कि ब्लॉक डील के जरिए हिस्सा बेच रहे प्रमोटर्स का पैसा भी फैमिली ऑफिस के जरिए स्टॉक मार्केट में ही आएगा क्योंकि बाजार का सेंटिमेंट बुलिश है. अगर प्रमोटर ऐसे माहौल में खरीदारी कर रहे हैं तो वो और भी बुलिश है.”
प्रमोटर्स की ओर से हो रही खरीदारी वाली कुछ कंपनियों में Bajaj Auto, JSW Steel, Natco Pharma, Relaxo Footwears, Sobha Ltd और UPL शामिल हैं.
अब दीक्षा जैसे निवेशकों को ऐसे शेयरों में आंख मूंद कर निवेश कर देना चाहिए? प्रमोटर की हिस्सेदारी का मतलब है कि कुल शेयरों में से प्रमोटर यानी मालिक का कितना हिस्सा है. यानी वो कुल कितने हिस्से के मालिक हैं.
होल्डिंग जितनी ज्यादा होती है, प्रमोटर के पास कंपनी का उतना ज्यादा कंट्रोल होता है. अगर किसी कंपनी में प्रमोटर का हिस्सा 45-50% तक है तो भी अच्छा है, लेकिन अगर 75% के करीब है तो फैसले लेने में कोई दिक्कत नहीं होती. मार्केट रेगुलेटर SEBI के नियमों के मुताबिक किसी भी कंपनी में प्रमोटर होल्डिंग 75% से ज्यादा नहीं हो सकती.
और हां निवेश करते समय पिछले पांच साल की प्रमोटर होल्डिंग का रिकॉर्ड जरूर देखें. अगर 5 साल नहीं तो कम से कम 5-6 तिमाहियों का ट्रेंड तो जरूर देख लें. अगर प्रोमोटर होल्डिंग बढ़ रही है या स्थिर भी है तो कंपनी भरोसेमंद है.
पर प्रमोटर की बढ़ती हिस्सेदारी के अलावा निवेशकों को ये भी देखना चाहिए कि प्रमोटर मार्केट से खरीद रहे हैं या फिर संस्थागत निवेशकों से. क्योंकि अगर संस्थागत निवेशक कंपनी से बाहर निकल रहे हैं तो उसके पीछे की वजह समझना भी अहम है. साथ ही ये भी देखना चाहिए कि क्या प्रमोटर निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए खरीदारी कर रहे हैं या केवल price manipulate करने के लिए. यानी कि गिरावट पर खरीद कर होल्ड कर रहे हैं या ऊपर का भाव मिलने पर अपने शेयर बेच रहे हैं. एक अहम बात और देखनी चाहिए कि कहीं प्रमोटर future में होने वाली कोई बड़ी announcement का फायदा लेने के लिए तो नहीं अपना हिस्सा बढ़ा रहे. क्योंकि किसी भी कंपनी के कारोबार के बारे में प्रमोटर से बेहतर जानकारी किसी के पास नहीं होती.
ऐसे में आपकी क्या रणनीति होनी चाहिए जिन कंपनियों में प्रमोटर हिस्सा बढ़ा रहे हों? Santosh Meena के अनुसार प्रमोटर की बढ़ती हिस्सेदारी वाली कंपनियों में Bajaj Auto, JSW Steel, Natco Pharma, Relaxo Footwears और UPL में खरीदारी की जा सकती है…जबकि corporate governance के जुड़े कुछ issues के चलते Sobha के शेयर को avoid करना चाहिए…छोटी से मध्यम अवधि में Bajaj Auto में 5,000, JSW Steel में 1,000, Natco Pharma में 1,200, Relaxo Footwears में 1,350 और UPL में 550 का लक्ष्य संभव है.
कुल मिलाकर प्रमोटर किसी कंपनी के ऐसे मालिक होते हैं जिनके पास बड़ी हिस्सेदारी होती है. सारे फैसले इनहीं के हाथ में होते हैं. इसलिए इनके ट्रैक रिकॉर्ड पर नजर रखनी चाहिए. पर दीक्षा की तरह सिर्फ इनकी हिस्सेदारी के बढ़ते ट्रेंड को देखकर निवेश नहीं करना चाहिए. इसके अलावा भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और मनी9 के साथ जुड़े रहिए.
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