आज 13 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के धोलेरा में भारत के पहले सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला रखी. यह मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट टाटा समूह और ताइवान स्थित पावरचिप (PSMC) मिलकर बना रही हैं. धोलेरा प्लांट में हर साल 300 करोड़ चिप्स का उत्पादन करने की क्षमता होगी. टाटा ग्रुप के धोलेरा प्लांट में 2026 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा. इसे भारत और टाटा समूह के लिए एक विशेष दिन बताते हुए, टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने गुजरात के धोलेरा में 91,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर ताइवान स्थित पावरचिप (PSMC) के साथ संयुक्त रूप से चलने वाली सेमीकंडक्टर सुविधा की एक झलक दी.
कितनों को मिलेगी नौकरी
टाटा संस से चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि हम 50,000 से ज्यादा नौकरियों के मौके पैदा करेंगे. इस प्लांट की हर महीने 50,000 वेफर्स की उत्पादन क्षमता होगी. PSMC को लॉजिक और मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट्स में विशेषज्ञता हासिल है. ताइवान में इसकी छह सेमीकंडक्टर फाउंड्रीज हैं. चंद्रा ने कहा कि महामारी के दौरान चिप की कमी ने हमें अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन पर हमारी निर्भरता का एहसास कराया. घरेलू सेमीकॉन उद्योग स्वदेशी उद्योग का जरूरी अंग है. सेमीकॉन चिप्स की हर उद्योग- ऑटो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , रक्षा, हरित तकनीक, स्वास्थ्य और हर दूसरे उद्योग में निर्णायक भूमिका है.
कितने रुपए का निवेश
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज चिप व्यक्ति की जिंदगी से करीबी रूप से जुड़ चुका है. घर में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से लेकर स्मार्टफोन तक में इसका इस्तेमाल हो रहा है. इस प्लांट पर 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा.
कितनी होगी उत्पादना क्षमता
धोलेरा प्लांट में हर साल 300 करोड़ चिप्स का उत्पादन करने की क्षमता होगी, जो अन्य चीजों के अलावा उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग, इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों को पूरा करेगा. धोलेरा सुविधा 28 नैनोमीटर चिप्स के साथ काम काज शुरू करेगी. इसे आगे चलकर 22 एनएम तक और एडवांस करने की योजना है. हाई परफॉर्मेंस वाले कंप्यूटिंग चिप्स के उत्पादन के अलावा, यह सुविधा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अलग-अलग क्षेत्रों के लिए पावर मैनेजमेंट चिप्स का निर्माण करने के लिए तैयार है.