अमेरिकी फंड मैनेजर इनवेस्को (Invesco) ने फूड एग्रीगेटर कंपनी स्विगी (Swiggy) की मार्केट वैल्यू में बड़ी कटौती की है. इनवेस्को ने स्विगी में करीब 70 करोड़ डॉलर का निवेश किया हुआ है. फंड मैनेजर कंपनी ने अमेरिकी शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि इस साल जनवरी तक वह स्विगी की कुल मार्केट वैल्यू 5.5 अरब डॉलर मान रहा है. इससे पहले इनवेस्को ने स्विगी की मार्केट वैल्यू करीब 8 अरब डॉलर आंकी थी और पिछले साल जनवरी में तो 10.7 अरब डॉलर की वैल्यू बताई थी. स्विगी की मार्केट वैल्यू घटकर 5.5 अरब डॉलर आने का मतलब है कि वह अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी जोमैटो (Zomato) से छोटी हो गई है. जोमैटो की मार्केट वैल्यू 6.9 अरब डॉलर बताई जाती है. हालांकि स्विगी जैसा हाल पहले जोमैटो का भी रहा है. एक समय जोमैटो की मार्केट वैल्यू 13 अरब डॉलर के पार पहुंच गई थी.
स्विगी दूसरा डेकाकॉर्न है जिसकी मार्केट वैल्यू घटकर आधी हो गई है. इससे पहले अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी ब्लैकरॉक (Blackrock) ने एडटेक कंपनी बायजूज ( Byju’s) का वैल्यूएशन घटाकर 11.5 अरब डॉलर कर दिया था जबकि कोविड के दौरान कंपनी की मार्केट वैल्यू 22 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गई थी. साथ ही सितंबर 2022 में सॉफ्टबैंक (SoftBank) ने भी Oyo की मार्केट वैल्यू को 10 अरब डॉलर से घटाकर 2.7 अरब डॉलर कर दिया था.
क्यों स्टार्टअप्स में आ रही है सुस्ती?
स्विगी की मार्केट वैल्यू यानी बाजार मूल्यांकन (mcap) में कमी ऐसे समय में की गई है जब स्टार्टअप्स को भारी नुकसान हो रहा है और वे नकदी बचाए रखने और मुनाफे पर जोर देने की अपनी कोशिशों के तहत छंटनी का सहारा ले रहे हैं.
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी ने 380 कर्मचारियों को काम से निकाल दिया था. कंपनी ने चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालात और अपने कारोबार में सुस्त वृद्धि को इसकी वजह बताया था. स्विगी की तरह ही बहुत सारे स्टार्टअप्स का यही हाल है. 2023 के पहले चार महीनों में 41 स्टार्टअप्स ने करीब 5,868 कर्मचारियों की छंटनी की. वहीं 2022 में 52 स्टार्टअप्स ने करीब 18,000 छंटनी की थी.
फंडिंग और दूसरी दिक्कतें
इस छंटनी का लेना देना फंडिंग में आ रही कमी से है. हाल के समय में भारतीय स्टार्टअप्स में फंडिंग में भारी कमी दर्ज की गई है. फंडिंग में सालाना आधार पर 20 फीसद से ज्यादा की गिरावट देखी गई है.
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि स्टार्टअप्स की खराब होती हालत की एक बड़ी वजह यह है कि वे अपनी ग्रोथ को ओवरएस्टिमेट कर लेते हैं और जमकर निवेश मिलने के साथ जमकर हायरिंग भी कर लेते हैं. बाद में ये हायरिंग उन पर भारी पड़ने लगती है, तब छंटनी का सहारा लेते हैं. यानी उनके बिजनेस मॉडल में फोकस और सही दिशा की कमी है.
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