भारत को जल्दी ही नई और सस्ती ईवी के विकल्प मिलेंगे. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी स्टेलेंटिस चीनी कंपनी लीपमोटर के साथ मिलकर भारत में आधुनिक और किफायती ईवी बनाएगी. कंपनी के मुख्य कार्यकारी कार्लोस तवारेस ने इसकी जानकारी दी है.
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, अभी स्टेलेंटिस ग्रुप के पास, क्रिसलर, सिट्रोएन, फिएट और जीप सहित कई ब्रांड हैं. कंपनी अपने चीनी जॉइंट वेंचर पार्टनर लीपमोटर के साथ मिलकर तमिलनाडु के तिरुवल्लुर में पहले से मौजूद प्लांट में किफायती इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करने पर विचार कर रही है. कार्लोस तवारेस ने कहा कि भारत की ईवी नीति पर हमने पूरी तरह स्टडी नहीं कि है लेकिन यह निश्चित ही हमारे लिए एक अच्छा अवसर है.
भारत सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के उद्देश्य से एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति (New EV Policy) को मंजूरी दे दी है. नई नीति के तहत देश में कंपनियां न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए प्लांट लगा सकती हैं, लेकिन इसके लिए उसे अपने इलेक्ट्रिक वाहनों में कम से कम 25 फीसद स्थानीय रूप से निर्मित कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा. अगर कंपनियां न्यूनतम निवेश करती हैं तो पांच साल की अवधि के लिए 15 फीसद आयात शुल्क लगेगा.
लीपमोटर फिलहाल भारत में किफायती इलेक्ट्रिक कारें बेचने पर विचार कर रही है. इस क्रम में सबसे पहले, कंपनी अपने T03 और C10 मॉडल को लॉन्च करेगी. इतना ही नहीं, कंपनी अगले तीन वर्षों तक हर साल एक नया मॉडल लेकर आएगी.
तवारेस ने कहा कि स्टेलंटिस पहले से ही सिट्रोएन के तहत तिरुवल्लुर में ईवी का निर्माण कर रहा है और उसने भारत में कई कंपनियों को ईसी3 कार के बेड़े बेचे हैं. उन्होंने कहा कि अब तक हम अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और मुझे पता है कि स्थानीय टीम इस B2B बिक्री से काफी खुश है.
तवारेस ने बताया कि लीपमोटर इस साल यानी 2024 के अंत तक भारत में एंट्री ले सकती है. गौरतलब है कि लीपमोटर वैश्विक विस्तार में लगी है. इसी क्रम में कंपनी सितंबर 2024 तक यूरोप में एंट्री करेगी. उन्होंने बताया कि तिरुवल्लूर में हमारी उत्पादन क्षमता 90,000 यूनिट्स के निर्माण की है. लीपमोटर को भारत में लाना है, तो इसे लोकल मैन्युफैक्चरिंग के जरिए ही लाना होगा जैसा कि हमारे पास बाकी सभी ब्रांड हैं.
गौरतलब है कि साल 2023 के अंत में स्टेलेंटिस ने लीपमोटर में 1.5 बिलियन यूरो निवेश कर 20 फीसद की हिस्सेदारी खरीदी थी. स्टेलेंटिस चीन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार करना चाहती है. लीपमोटर चीन की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी है, जो नई-नई तकनीक का काम रही है. वहीं दूसरी ओर स्टेलेंटिस ग्रुप जीप और फिएट जैसे ब्रांडों की समूह होल्डिंग कंपनी है, जो भारत में पहले से मौजूद है.
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