सिक्योरिटी ऐपलेट ट्रिब्यूनल यानी SAT ने कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी के NSE के खिलाफ आदेश के कुछ हिस्सों पर रोक लगा दी है. सेबी ने डार्क फाइबर मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE को ब्याज समेत 62.6 करोड़ रुपए की रकम लौटाने का आदेश दिया था. NSE की पूर्व MD और CEO चित्रा रामकृष्णा पर किसी शेयर एक्सचेंज या लिस्टेड कंपनी में कोई पोजीशन लेने पर 3 साल के लिए रोक लगाई थी.
इसके अलावा NSE के 3 वरिष्ठ अधिकारियों रवि वाराणसी, नगेंद्र कुमार और देवी प्रसाद सिंह पर सेबी ने किसी शेयर एक्सचेंज या लिस्टेड कंपनी में पोजीशन लेने पर 2 साल के लिए रोक लगाई थी.
SAT ने सेबी के दिशानिर्देश को ‘कठोर और अत्यधिक’ बताया है और कहा कि इन्हें कायम नहीं रखा जा सकता. साथ ही Way2Wealth Brokers को 15.34 करोड़ रुपए और GKN Securities को 4.9 करोड़ रुपए की रकम लौटाने के फैसले पर भी रोक लगाई है.
क्यों लिया SAT ने फैसला ?
– SEBI ने अप्रैल 2019 में NSE, उसके पूर्व अधिकारियों और स्टॉक ब्रोकर्स समेत कुल 17 एन्टिटीज के खिलाफ फैसला सुनाया था. इन 17 में से 11 एन्टिटीज ने SEBI के फैसले के खिलाफ SAT में याचिका दाखिल की थी.
सेबी के ऑर्डर का बाकी हिस्सा रहेगा जारी
सेबी की ओर से पारित बाकी सभी फैसले SAT ने जारी रखे हैं. इन फैसलों में NSE की को-लोकेशन सुविधा की समय-समय पर समीक्षा, व्यापक दिशानिर्देश लागू करना, को-लोकेशन सुविधा से जुड़े स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर और प्रोटोकॉल से जुड़े फैसले उपयुक्त पाए गए थे और इनको SAT के फैसले के मुताबिक बरकरार रखा गया है.
क्या है मामला?
यह मामला चुनिंदा ब्रोकिंग फर्म्स को NSE पर ‘dark fibre’ के रूप में कथित रूप से डिफरेंशियल एक्सेस देने से जुड़ा है. इसके जरिए इन चुनिंदा ब्रोकिंग फर्म्स को बाकी मेंबर्स से पहले तमाम को-लोकेशन सुविधाओं पर जुड़ने का एक्सेस दिया गया.