कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में उस दावे को गलत बताया है जिसमें एक याचिकाकर्ता ने कहा था कि सेबी 2016 से अदानी ग्रुप की कंपनियों की जांच कर रहा है. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसने 2016 में ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट से जुड़े 51 मामलों की जांच की थी और उनमें कोई भी मामला अदानी ग्रुप की कंपनियों से नहीं जुड़ा था. सेबी के इस बयान के बाद राजनीतिक हल्कों में सरकार के खिलाफ फिर चर्चा शुरू हो गई है.
वित्त मंत्रालय ने जुलाई 2021 में संसद को बताया था कि अदानी ग्रुप से जुड़े मामलों की सेबी जांच कर रहा है, उस समय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में यह जानकारी दी थी. वित्त मंत्रालय ने अपने ताजा बयान में कहा है कि वह जुलाई 2021 में संसद को दिए अपने बयान पर कायम है. ध्यान रहे कि पुरानी जांच का विषय मौजूदा जांच से अलग है. मौजूदा जांच अदानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप को लेकर हो रही है.
लेकिन 2021 में सरकार ने कहा था कि अदानी मामले पर सेबी जांच कर रही है, ये देखना होगा कि सरकार ने किस मामले की जांच के बारे में जानकारी दी है. इतना ही नहीं, 2023 की शुरुआत में सेबी की मंजूरी के बाद ही अदानी ग्रुप FPO लेकर आया था. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि FPO की मंजूरी के दौरान सेबी की तरफ से अदानी ग्रुप से जुड़ी किसी भी तरह की जांच की जानकारी नहीं दी थी और अगर जांच चल रही थी तो फिर FPO को मंजूरी कैसे मिली?
इस बीच अदानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच के लिए सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मोहलत मांगी है. सेबी ने कहा है कि जांच के लिए पर्याप्त समय चाहिए. इस मामले में सुप्रमी कोर्ट में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी. दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को निर्देश दिया था कि अदानी-हिंडनबर्ग मामले में जांच करें और जांच की रिपोर्ट 2 महीने में सौंपे. लेकिन अब 2 महीने से ज्यादा समय हो चुका है और अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सेबी की तरफ से जांच रिपोर्ट नहीं दी गई है.