IBC के तहत जो कंपनियां अबतक बेची गई हैं, बिक्री से पहले उनकी मार्केट वैल्यू 2 लाख करोड़ रुपए के करीब हुआ करती थी लेकिन अब उनकी मार्केट वैल्यू बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपए हो गई.
बैंकों के फंसे या डूबे कर्ज की वसूली के लिए 2016 में आए इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड यानी IBC के तहत न सिर्फ कर्ज लेने वाली कंपनियों को बेचे जाने की रफ्तार बढ़ी है, बल्कि जो कंपनियां बेची गई हैं उनकी कीमत में भी पहले के मुकाबले जोरदार बढ़ोतरी हुई है. इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया यानी IBBI के चेयरमैन रवि मित्तल ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) की स्टडी का हवाला देते हुए रविवार को यह जानकारी दी है.
रवि मित्तल ने बताया कि IBC के तहत जो कंपनियां अबतक बेची गई हैं, बिक्री से पहले उनकी मार्केट वैल्यू 2 लाख करोड़ रुपए के करीब हुआ करती थी लेकिन अब उनकी मार्केट वैल्यू बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपए हो गयी है जोकि भारत की ग्रोथ और अर्थव्यवस्था में IBC का सबसे बड़ा योगदान है. रवि मित्तल ने बताया कि IBC के तहत बेची जाने वाली कंपनियों की संख्या में भी 75 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. IBBI के 7वें वार्षिक दिवस के मौके पर रवि मित्तल ने यह बयान दिया है.
रवि मित्तल ने बताया कि IBC के तहत वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान कुल 185 मामलों का निपटारा हुआ था और मौजूदा वित्तवर्ष 2023-24 में अगस्त तक 135 मामलों का निपटारा हो चुका है. उन्होंने बताया कि इस साल जिस रफ्तार से IBC के तहत काम हो रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि पूरे वित्तवर्ष 2023-24 में 300 मामलों का निपटारा हो सकता है. वित्तवर्ष 2022-23 में IBC के जरिए निपटाए गए मामलों से 51 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की उगाही की गई है.
IBBI चेयरमैन ने बताया कि IBC की वजह से बैंकों के NPA को घटाने में मदद मिली है. मार्च 2023 तक बैंकों का कुल NPA घटकर 3.9 फीसद तक आ गया है. उन्होंने यह भी बताया कि IBC की वजह से बीते 7 वर्षों के दौरान करीब 9 लाख करोड़ रुपए के क्लेम सेटल करने में मदद मिली है.