देश की तमाम दिग्गज कंपनियां अपने कर्ज के बोझ को जल्द से जल्द घटाने की कवायद में जुटी हैं. इसकी मजबूत बानगी कंपनियों के वित्तीय परिणामों में देखने को मिली. वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में शीर्ष 500 कंपनियों के प्रमोटर्स ने अपने गिरवी शेयरों में रिकॉर्ड कमी दर्ज की है.
अंग्रेजी अखबार मिंट की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान टॉप 500 कंपनियों के प्रमोटर्स ने 88,345 करोड़ रुपए यानी करीब 11 अरब डॉलर मूल्य के गिरवी रखे शेयर छुड़ाए. इन 500 कंपनियों का भारत की लिस्टेड कंपनियों की कुल वैल्यू में 96 फीसद का योगदान है. टॉप कंपनियां जिनके गिरवी शेयरों में कमी आई है उनमें अदानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के अलावा Vedanta, Hindustan Zinc, Indus Towers और JSW Steel के नाम शामिल हैं. मार्च तिमाही के दौरान निफ्टी 500 कंपनियों की वैल्यू में 6.4 फीसद घटकर 252.66 लाख करोड़ रुपए पर रही. हालांकि तिमाही के अंत तक इन कंपनियों में प्रमोटर्स के गिरवी शेयरों की वैल्यू दिसंबर 2022 में 4.39 लाख करोड़ रुपए से घटकर 3.5 लाख करोड़ रुपए पर रह गई है.
क्या है वजह?
अमेरिकी रिसर्च एजेंसी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदानी ग्रुप को जोर का झटका लगा है. इस रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अदानी ग्रुप की ओर से शेयर गिरवी रखकर लिए गए कर्ज के बारे में बिस्तार से प्रकाश डाला है. इस रिपोर्ट के आने के बाद अदानी ग्रुप की लिस्टेड सभी 10 कंपनियों के शेयर बुरी तरह से लुढ़क गए. इससे समूह के साथ आम निवेशकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इस घटना के बाद जिन कंपनियों ने शेयर गिरवी रखकर लोन ले रखा है, उनमें हिंडनबर्ग का बुरी तरह खौफ है. उन्हें आशंका है कि हिंडनबर्ग ने कर्ज को लेकर रिपोर्ट जारी कर दी नई मुसीबत खड़ी हो सकती है. इसी वजह से तमाम दिग्गज कंपनियां गिरवी रखे शेयरों को छुड़ाकर कर्ज का बोझ हल्का कर रही हैं.