देश की प्रमुख घरेलू एयरलाइन गो फर्स्ट ने NCLT के पास दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है. वित्तीय संकट से जूझ रही गो फर्स्ट ने 3 से 5 मई तक अपनी सभी उड़ानें भी रद्द कर दी हैं. कंपनी क्या इस संकट से उबर पाएगी, इसको संशय है. हालांकि कंपनी ने कहा है कि वह कैंसिल हुई फ्लाइट का रिफंड देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी. लेकिन रिफंड के बाद भी यात्रियों को हुई असुविधा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. गो फर्स्ट के फ्लाइट कैंसल करने से दूसरी विमान कंपनियों को भी मुश्किल होगी. नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) के मार्च महीने के आंकड़ों के अनुसार गो फर्स्ट घरेलू बाजार में 6.9 फीसद हिस्सेदारी के साथ चौथी बड़ी कंपनी है. गोफर्स्ट के फ्लाइट कैंसल करने के बाद यात्री अन्य विमानों में टिकट बुक करने की कोशिश करेंगे. ज्यादातर विमान 90 फीसदी से ज्यादा की ऑक्यूपेंसी के साथ उड़ान भर रहे हैं. यानी इन विमानों में बहुत कम सीटें बची हैं. मांग बढ़ने की वजह से फ्लाइट टिकट 20 फीसद तक महंगे हो सकते हैं.
घरेलू विमानन कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी (% में)
दिल्ली-श्रीनगर रूट पर चलने वाली 30 फ्लाइट में से गो फर्स्ट 6 फ्लाइट ऑपरेट करती है. इसी तरह दिल्ली-मुंबई रूट पर चलने वाली 13 फ्लाइट में 5, दिल्ली-बागडोगरा पर 10 में से 3 और दिल्ली-लेह रूट पर 10 में से 3 फ्लाइट गो फर्स्ट उड़ाती है. इन रूट पर जहां गो फर्स्ट की अच्छी पकड़ है वहां फ्लाइट का किराया बढ़ने की ज्यादा आशंका है.
नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया ने कहा है कि अचानक फ्लाइट कैंसिल करने की वजह से नागर विमानन महानिदेशालय ने गोफर्स्ट को नोटिस भेजा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यात्रियों को वैकल्पिक यात्रा उपलब्ध कराना एयरलाइन की जिम्मदारी है जिससे उन्हें परेशानी न हो.
क्या है पूरा मामला?
प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन आपूर्ति न होने से उसके आधे विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. इससे उसको काफी वित्तीय नुकसान हो रहा है. इसके अलावा परिचालन लागत दोगुनी होने से भी गो फर्स्ट को 10,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. वित्तीय बोझ के संकट से जूझ रही वाडिया ग्रुप की कंपनी ने खुद ही NCLT के पास दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है. अब देखना यह होगा कि कंपनी क्या इस बड़े संकट से उबर पाएगी?
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