नकदी संकट से जूझ रही हाइपरलोकल डिलीवरी स्टार्टअप Dunzo का घाटा वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 1,802 करोड़ रुपये हो गया. इस वित्त वर्ष का घाटा पिछले वित्त वर्ष 2022 में हुए घाटे की तुलना में 288 फीसद अधिक है. साल 2022 में, कंपनी के खर्चे में चार गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई थी, जिसके चलते Dunzo को वित्त वर्ष 2022 में 464 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. अब कंपनी ने इस वित्त वर्ष का आंकड़ा जारी किया है.
विज्ञापनों पर 310 करोड़ रुपये खर्च
कंपनी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में कंपनी का कुल खर्च सालाना आधार पर 4 गुना बढ़कर 2,054 करोड़ रुपये हो गया. Dunzo ने वित्त वर्ष 2023 में विज्ञापनों पर 310 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि वित्त वर्ष 2022 में स्टार्टअप का विज्ञापन पर 64 करोड़ रुपये खर्च हुआ था. वित्त वर्ष 2022 में Dunzo का रेवेन्यू 54 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023 में 227 करोड़ रुपये हो गया. यानी रेवेन्यू में 319 फीसद की बढ़ोतरी रही है. हालांकि खर्च में हुई बढ़ोतरी के कारन रेवेन्यू में इतने ज्यादा उछाल के बावजूद घाटा बढ़ा. वित्त वर्ष 2022 में Dunzo ने 532 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो मुख्य रूप से विज्ञापन खर्च में उछाल के कारण था.
संकटों से जूझ रहा स्टार्टअप
गौरतलब है कि कंपनी काफी समय से नकदी की कमी से जूझ रही है. इससे पहले, जुलाई 2023 से Dunzo को कर्मचारियों को वेतन देने में देरी की है. इतना ही नहीं, कंपनी ने सैकड़ों कर्मचारियों को निकाल दिया गया है और यहां तक कि स्टार्टअप ने अपने ऑफिस स्पेस को भी छोड़ दिया है. दरअसल, कंपनी नकदी को मैनेज करने के लिए ये सब कर रही है. Dunzo की दिन प्रति दिन खराब हो रही हालत को देखते हुए कई टॉप एग्जीक्यूटिव इसका साथ छोड़ चुके हैं, जिनमें इसके दो को-फाउंडर भी शामिल हैं.
इन कंपनियों की है हिस्सेदारी
Dunzo इस स्थिति से बहार निकलने के लिए 2.5-3 करोड़ डॉलर की कैपिटल जुटाना चाहता है. गौरतलब है कि कंपनी की शुरुआत साल 2014 में हुई थी. Dunzo में 25.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ रिलायंस सबसे बड़ी शेयरधारक है. इसमें गूगल की हिस्सेदारी लगभग 19 प्रतिशत है. Dunzo ने 2015 से अब तक रिलायंस और गूगल के अलावा, लाइटरॉक, लाइटबॉक्स, ब्लूम वेंचर्स और कई अन्य से करीब 50 करोड़ डॉलर जुटाए हैं.