Google Apps Controversy: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानी सीसीआई (CCI) ने भारतीय इंटरनेट कंपनियों की गूगल की नई प्ले स्टोर बिलिंग नीति के खिलाफ दायर की गई अंतरिम याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इस याचिका में एंटीट्रस्ट वॉचडॉग से गूगल को इन-ऐप खरीदारी के लिए कोई भी कमीशन लेने और Google की Play Store नीतियों का पालन नहीं करने वाले ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाने से रोकने का आग्रह किया गया था.
किसने दायर की याचिका?
अंतरिम राहत की मांग शादी डॉट कॉम चलाने वाले पीपल इंटरएक्टिव और कुकू एफएम चलाने वाली मेबिगो लैब्स ,इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) और इंडियन डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री फाउंडेशन (आईडीएमआईएफ) ने की थी. इन्होंने अपनी याचिकाओं में नियामक से गूगल को डिजिटल प्रोडक्ट /सेवाओं की पेशकश करने वाले ऐप पर शुल्क वाले डाउनलोड या इन-ऐप खरीदारी से जुड़े लेनदेन के लिए कोई शुल्क वसूलने से रोकने की मांग की थी. लेकिन सीसीआई ने अपने आदेश में कहा कि याचिका दायर करने वाले उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रस्तावित अंतरिम राहत देने के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं कर पाए हैं.
10 इंडियन एप्स को प्ले-स्टोर से हटा दिया था
गौरतलब है कि गूगल ने इसी महीने मार्च में बड़ी कार्रवाई करते हुए 10 भारतीय मोबाइल एप्स को प्ले-स्टोर से हटा दिया था. गूगल ने यह कार्रवाई बिलिंग सिस्टम में गड़बड़ी को लेकर की थी. हालांकि, इसके बाद सरकार के हस्तक्षेप से फिर ये ऐप प्ले-स्टोर पर रीस्टोर हो गई है. लेकिन तब से ही यह मामला चर्चा में है. गूगल का कहना है कि ये कंपनियां गूगल की नई प्ले स्टोर पॉलिसी को फॉलो नहीं कर रही थीं. इसे लेकर गूगल की तरफ से इन कंपनियों को कई बार चेतावनी भी दी गई थी, बावजूद इसके इन कंपनियों में सुधार न देखते हुए गूगल ने इन्हें प्ले स्टोर से हटा दिया था.
इससे पहले, सीसीआई ने गूगल आदेश दिया था कि वह अपनी पुरानी व्यवस्था जिसमें वह 15 से 30 फीसद शुल्क लगता था उसे ख़त्म करे. इस आदेश को मानते हुए गूगल ने अपनी पॉलिसी बदलते हुए एप भुगतान पर 11-26 प्रतिशत शुल्क लगाना शुरू किया. अब भारतीय कंपनियों ने गूगल की तरफ से इस शुल्क वसूली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें गूगल के शुल्क पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई.