केसोराम इन्डस्ट्रीज की दिवालिया कंपनी बिरला टायर्स को खरीदने की दौड़ में केवल दो कंपनियां बची हैं. इनमें डालमिया भारत रिफेक्टरीज के अलावा पवन रुइया की एफिलिएट कंपनी शामिल है. दरअसल ये दो कंपनियों का कंसोर्टियम है जिसमें स्टीफेन फाइनेंशियल सर्विसेज और मेलरोज क्रिएशन शामिल हैं. इस कंपनी को खरीदने के लिए मार्च में एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों और PE firms ने शुरुआती बोली जमा की थी. इनमें सिएट, बेन-पीरामल के समर्थन वाली इंडिया रीसर्जेंट फंड , जिंदल स्टील & पावर, बॉम्मिडाला एंटरप्राइजेज, कोलकाता की MCPI और हिमादरी स्पेशलिटी कैमिकल्स शामिल थीं. बिरला टायर्सकमर्शियल व्हीकल्स, फार्म व्हीकल्स, हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी, मोटरसाइकिल्स और थ्री व्हीलर्स के लिए टायर्स की मैन्युफैक्चरिंग करती है जिसका 2019 में अपनी पैरेंट कंपनी केसोराम इनडस्ट्रीज से डीमर्जर हो गया था. NCLT ने May 2022 में बिरला टायर्स के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दी थी. .दरअसल केमिकल्स बनाने वाली कंपनी SRF ने इस कंपनी की ओर से 15 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान पर डिफॉल्ट करने की शिकायत दर्ज की थी. इस कंपनी के रेजोल्यूशन प्रोफेशनल यानी RP ने फाइनेंशियल क्रेडिटर्स से कुल 1,128 करोड़ रुपए के क्लेम जमा किए हैं. इन दोनों कंपनियों ने 100 करोड़ रुपए से कम का ऑफर जमा किया है जो क्रेडिटर्स की उम्मीद से काफी कम है.
कोर्ट में क्यों पहुंची ये डील?
केयर हॉस्पिटल्स को खरीदने की लड़ाई ने अब कानूनी रूप ले लिया है. दरअसल मैक्स हेल्थकेयर इन्स्टिट्यूट ने निजी इक्विटी फर्म TPG के खिलाफ बॉम्बे हाइ कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया है. ऐसा इलिए क्योंकि केयर हॉस्पिटल्स के मालिकों ने मैक्स हेल्थकेयर की बोली को नजरअंदाज कर दिया है. इसके बजाए दुनिया के सबसे बड़े PE फंड ब्लैकस्टोन के ऑफर को चुनने का फैसला किया है. मैक्स हेल्थकेयर की TPG के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत हुई थी जिसमें Max ने TPG को नॉन बाइडिंग ऑफर दिया था. इस डील के जरिए मैक्स की अपनी देशभर में मौजूदगी बढ़ाने की योजना है क्योंकि केयर हॉस्पिटल्स की साउथ इंडियन में मजबूत पकड़ है. पर ब्लैकस्टोन ने इस ऑफर से 15-20 फीसद ऊंची बोली लगाई है. जिसकी मंजूर कर लिया गया है.
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