हाल ही में लंदन से दिल्ली आ रही एयर इंडिया (Air India) की एक फ्लाइट के यात्रियों को जयपुर एयरपोर्ट पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. खराब मौसम की वजह से फ्लाइट को जयपुर डायवर्ट किया गया था. पहले खराब मौसम की वजह से देरी हुई और फिर एयर इंडिया के पायलट ने फ्लाइट को आगे (दिल्ली) ले जाने से इनकार कर दिया. इसके बाद फ्लाइट में और देरी हुई. यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा कि कोई दूसरा पायलट आए और फ्लाइट चालू हो. एयर इंडिया (Air India) के पायलट ने कहा था कि उसकी ड्यूटी खत्म हो गई है, वह थक गया है इसलिए वह फ्लाइट को आगे नहीं ले जा सकता है. पायलट ने ऐसा फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों का हवाला देते हुए किया.
पायलट के फ्लाइट ऑपरेट न करने का ये पहला और आखिरी मामला नहीं है. इसके कुछ ही दिन बाद एक और पायलट ने इन्हीं नियमों का हवाला देते हुए लखनऊ से चेन्नई की इंडिगो की फ्लाइट ऑपरेट करने के इनकार कर दिया.
क्या हैं FDTL नियम? भारत में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) FDTL नियम जारी करता है और उन पर नजर रखता है. इन नियमों के तहत अधिकतम स्वीकृत लैडिंग और फ्लाइट टाइम के आधार पर हर दिन के हिसाब से अधिकतम फ्लाइट ड्यूटी पीरियड तय किया गया है. इनके तहत फ्लाइट ड्यूटी पीरियड के बीच अनिवार्य रेस्ट पीरियड, हर हफ्ते, दो हफ्ते, 90 दिन और एक साल का ड्यूटी पीरियड आदि भी तय किया गया है. साथ ही अलग-अलग स्थितियों के लिए अलग-अलग नियम भी तय किए गए हैं.
एयरलाइंस की जिम्मेदारी नियमों के तहत एयरलाइंस को अपनी खुद की सीमाएं तय करने की जरूरत है. हर एयरलाइन को डीजीसीए के नियमों के अनुरूप अपने खुद की FDTL स्कीम तैयार करनी होगी और ये ही उनके ऑपरेशन मैनुअल का हिस्सा होंगे. इन सबके बावजूद एयरलाइंस पायलटों से की सीमा से ज्यादा उड़ान भरने को कहती हैं. कुछ पायलट दबाव में आकर यह बात मानने को तैयार हो जाते हैं.
पायलट का रुख और नियम अधिकतर मामलों में पायलट फ्लाइट ऑपरेट करने से इसलिए मना कर देते हैं क्योंकि डीजीसीए के नियमों के तहत उनकी भी जिम्मेदारी तय की गई है. फ्लाइट क्रू मेंबर से साफ-साफ कहा गया है कि वे तय सीमा से इतर अपने सिर काम नहीं ले सकते. अगर वे इतने थके हैं कि इसका फ्लाइट और उसमें सवार यात्रियों की सुरक्षा को जोखिम है तो वे ड्यूटी करने से मना कर दें.
यात्रियों को परेशानी इन सबकी वजह से सबसे ज्यादा परेशानी यात्रियों को होती है. उन्हें घंटों-घंटों इंतजार करना पड़ता है. उनके समय के साथ साथ आराम पर भी असर पड़ता है.
क्या है समाधान? इसके लिए डीजीसीए को और कड़ा रुख अपनाना होगा. एयरलाइंस से नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहना होगा. ऐसी नौबत ही न आए कि पायलट को खुद फ्लाइट ऑपरेट करने के लिए मना करना पड़े. एयरलाइंस को क्रू के लिए रोस्टर ऐसा बनाना होगा कि वैकल्पिक व्यवस्था हमेशा रहे. दोनों को ही सेफ्टी नियमों का पालन करना होगा ताकि किसी भी स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ न हो.
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