अदानी समूह गुजरात के मुंद्रा में अगले 6 वर्षों में चालू और नई दोनों परियोजनाओं में 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है. यह निवेश बंदरगाह के विस्तार के लिए किया जा रहा है. इसमें तांबे के अयस्क को संभालने के लिए एक नई बर्थ का निर्माण भी शामिल है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिजली ही ऐसा क्षेत्र है जिसमें कोई बड़ा विस्तार नहीं हो रहा है. ऐसे में यह निवेश एक बड़ा कदम है.
मुंद्रा बंदरगाह पर आया अपडेट!
अदानी समूह ने इस बंदरगाह को लेकर एक विज्ञापन जारी करते हुए कहा कि मुंद्रा पर पिछले 25 साल में अदानी समूह द्वारा किया गया कुल निवेश 70,000 करोड़ रुपए से अधिक है. पिछले 25 वर्षों में राज्य और राष्ट्रीय खजाने में मुंद्रा बंदरगाह का कुल योगदान 2.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है. अब से 25 साल पहले यह भूमि बंजर थी, जो आज भारत का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बंदरगाह बन चुकी है. 1998 में मुट्ठी भर टन से 100 मिलियन टन (एमटी) तक की जिम्मेदारी संभालने वाला यह भारत का पहला बंदरगाह था. आज इस बंदरगाह की क्षमता 155 मीट्रिक टन (फिर से भारत में पहला) से अधिक है जो भारत के समुद्री माल का लगभग 11 प्रतिशत है.
क्या है योजना?
अदानी एक वीएलसीसी (बहुत बड़ा क्रूड कैरियर) बर्थ भी बना रहा है और इसे साल के अंत तक या मार्च तिमाही तक चालू करने की योजना है. वर्तमान में, बंदरगाह से लगभग 8.6 किमी दूर बाहरी लंगरगाह में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) के लिए सिंगल बोया मूरिंग पर कच्चे तेल का प्रबंधन किया जा रहा है. यहां से माल समुद्री पाइपलाइन के माध्यम से भंडारण टैंकों तक जाता है. उन्होंने कहा, जबकि आईओसी और एचएमईएल एसबीएम में काम करते रहेंगे, नई वीएलसीसी बर्थ हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को राजस्थान में अपने संयंत्र के लिए कच्चा तेल लाने के लिए है.
हैंडलिंग क्षमता भी होगी दोगुनी
अभी, बंदरगाह को चलाने के लिए दैनिक आधार पर 25,000 लोगों की आवश्यकता है, जबकि विस्तार के बाद, 35,000 लोग की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद, बंदरगाह की हैंडलिंग क्षमता भी दोगुनी हो जाएगी. तांबे के अयस्क को संभालने के लिए एक नई बर्थ का निर्माण किया जा रहा है. कॉपर स्मेल्टर प्लांट का निर्माण भी अगले वित्तीय वर्ष तक चालू करने का प्लान है.
अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) की सहायक कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड (केसीएल) दो चरणों में 1 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) के साथ तांबे के उत्पादन के लिए एक ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी परियोजना स्थापित कर रही है, जिसकी कुल लागत ₹8,700 करोड़ है और उत्पादन अगले वित्तीय वर्ष के दौरान शुरू होने की संभावना है.
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