कर्ज के बोझ और हिंडनबर्ग रिसर्च की मार झेल रहा अदानी ग्रुप की कंपनियों ने कर्ज लौटाने के लिए 21000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बनाई है। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदानी एंटरप्राइस 12500 करोड़ रुपए जुटाने जा रही है जबकि अदानी ट्रांसमिशन की तरफ से 8500 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। यह पैसा क्वॉलिफाइड इंस्टिट्यूशनल प्लेसमेंट यानी QIP के जरिए जुटाया जाएगा। शनिवार को अदानी एंटरप्राइस और अदानी ट्रांसमिशन ने पूंजी जुटाने की इस योजना की जानकारी शेयर बाजार को दी है।
QIP शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक तरीका है, इसके जरिए लिस्टेड कंपनियां संस्थागत निवेशकों को शेयर जारी कर पूंजी जुटाई हैं। यानी अदानी ग्रुप की तरफ से म्यूचुअल फंड्स, बैंक, इंश्योरेंस कंपनियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों को QIP के जरिए शेयर जारी किए जाएंगे और बदले में पूंजी जुटाई जाएगी। QIP में सामान्य रिटेल निवेशक भाग नहीं ले सकते।
पूंजी जुटाने की यह योजना सिर्फ अदानी एंटरप्राइस या अदानी ट्रांसमिशन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रुप की दूसरी कंपनियां भी QIP के जरिए पूंजी जुटा सकती हैं। ग्रुप की कंपनी अदानी ग्रीन के बोर्ड की बैठक 24 मई को होनी है और उसमें भी QIP के जरिए पैसा जुटाने पर फैसला हो सकता है।
अदानी ग्रुप पर भारी कर्ज का बोझ है, इस साल मार्च अंत तक ग्रुप कंपनियों पर कुल कर्ज 2.27 लाख करोड़ रुपए आंका गया है। ऊपर से हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है। शेयरों में गिरावट को थामने के लिए जनवरी के बाद से ही अदानी ग्रुप ने कर्ज के बोझ को कम करने का प्रयास किया है ताकि कंपनियों का कामकाज प्रभावित न हो। जनवरी में ही पूंजी जुटाने के लिए ग्रुप की तरफ से 20 हजार करोड़ रुपए का FPO जारी किया गया था। लेकिन शेयरों में आई भारी गिरावट के बाद निवेशकों को भरोसा बनाए रखने के लिए अदानी ग्रुप ने FPO वापस लेने का फैसला किया था।
लेकिन अब ग्रुप ने नए सिरे से पूंजी जुटाने का फैसला किया है और इसके लिए QIP का रास्ता चुना है, लेकिन QIP से पूंजी जुटाने का फैसला ऐसे समय पर हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर अदानी ग्रुप और हिंडनबर्ग मामले की जांच कर रहा है।
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